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नंबर प्लेट नहीं, नेताजी का बोर्ड! कानून का चश्मा सिर्फ गरीबों के लिए?

नेताजी की गाड़ी में नंबर नहीं, रुतबा चलता है! क्या कानून अब नेताओं की चरणवंदना करने लगा है?

जन एक्सप्रेस लखनऊ: जहां एक ओर भाजपा खुद को सिद्धांतों की पार्टी बताकर नैतिकता और कानून पालन की मिसाल पेश करती है, वहीं दूसरी ओर एक तस्वीर ने पूरे तंत्र की पोल खोल दी है। एक वाहन जो झांसी से लखनऊ तक का सफर तय करता है — लेकिन उसकी नंबर प्लेट की जगह पर ‘भाजपा जिला अध्यक्ष’ का बोर्ड लगा है!

क्या यह वही पार्टी है जिसके नेता कानून पालन की बात करते हैं? क्या ट्रैफिक नियम सिर्फ आम आदमी के लिए हैं?

सबसे बड़ा सवाल: झांसी से लेकर लखनऊ तक किसी भी पुलिसकर्मी की नजर इस “वीआईपी गाड़ी” पर क्यों नहीं पड़ी? क्या कोई आम नागरिक अगर ऐसा करता तो अब तक गाड़ी सीज़ नहीं हो जाती? चालान ठोंक कर मोबाइल तक जब्त न कर लिया जाता? अब फर्क क्या रह गया? कभी सपा सरकार को “गुंडाराज” कहा जाता था — लेकिन अगर अब भाजपा नेता भी खुलेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं, तो फिर “गुंडागर्दी” किसे कहें?

कानून का डर सिर्फ जनता के लिए? नेता की गाड़ी को कोई रोक नहीं सकता? क्या नेताजी VIP हैं और बाकी लोग केवल करदाता? क्या लोकतंत्र में कानून की लाठी बस गरीब की पीठ पर ही चलती है?

नेताजी की गाड़ी में कानून की बत्ती गुल!” भाजपा जिला अध्यक्ष की गाड़ी में नंबर की जगह नाम — पुलिस मूकदर्शक!”

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