प्रयागराज संगम का जल नहीं रहा नहाने लायक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया बड़ा खुलासा

जन एक्सप्रेस/प्रयागराज : प्रयागराज संगम में जो लोग डुबकी लगा रहे हैं या जो लोग लगाने वाले हैं उनके लिए बेहद डरावनी खबर है। त्रिवेणी संगम का पवित्र जल जिसको लेकर कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से पापों से मुख्ति मिल जाती है, उस संगम को लेकर एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है कि गंगा और यमुना का जल अब लोगों के स्नान करने लायक नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB ) की एक रिपोर्ट के माध्यम से सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सूचित किया गया है, कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के बराबर नहीं है। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 ML है।
गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर किया गया इशारा
एनजीटी अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ‘ए सेंथिल वेल’ की पीठ, प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान बेंच ने कहा कि सीपीसीबी ने तीन फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है।
UPCB ने जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र किया दाखिल
पीठ ने यह भी कहा कि – उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPCB) ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एनजीटी के पूर्व के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है। UPCB ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया। पीठ ने आगे बढ़ते हुए कहा “यूपीपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी द्वारा भेजे गए 28 जनवरी के पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी यह पता चलता है, कि विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर पाया गया है।”
वहीं इस पूरे मामले को लेकर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया है।