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झूठे दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ करवाई की तैयारी

जन एक्सप्रेस/जौनपुर: जौनपुर केराकत तहसील क्षेत्र के एक मामले में छह वर्ष पहले एक दलित महिला द्वारा लगाए गए सामूहिक दुष्कर्म के गंभीर आरोपों पर आखिरकार न्यायपालिका की अंतिम मुहर लग गई। जौनपुर की विशेष एससी/एसटी अदालत ने अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए शिवरामपुर खुर्द गांव के दो युवकों संदीप सिंह और अभिषेक सिंह को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।

अदालत में वादिनी राधिका देवी ने अपने बयान बदलते हुए अभियोजन कथन का समर्थन करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने रिकॉर्ड पर दर्ज किया कि वादिनी ने अपने पूर्व दिए गए बयानों के विपरीत कथन किया, जिससे यह परिलक्षित होता है कि अभियुक्तों को मिथ्या साक्ष्य गढ़कर फंसाया गया था। इस गंभीर आचरण को अदालत ने हल्के में नहीं लिया। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी अनिल कुमार यादव ने निर्देश दिया कि वादिनी के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 344 के तहत अलग से आपराधिक प्रकीर्ण वाद दर्ज किया जाए। साथ ही राधिका देवी को नोटिस जारी करते हुए पूछा गया है कि क्यों न उसे मिथ्या साक्ष्य गढ़ने के लिए दंडित किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि यदि वादिनी/पीड़िता को एससी/एसटी नियमावली के तहत कोई सरकारी आर्थिक सहायता दी गई है, तो उसकी वसूली जिला मजिस्ट्रेट जौनपुर द्वारा नियमानुसार की जाएगी। इस संबंध में निर्णय की प्रति डीएम को भेजी जा रही है। छह वर्ष तक न्यायालयी कार्यवाही झेलने के बाद दोनों युवकों को अंततः राहत मिली। अदालत ने उनके व्यक्तिगत बंधपत्र व जमानतनामे निरस्त करते हुए प्रतिभूगणों को भी दायित्वों से मुक्त कर दिया। जिसने पूरे इलाके में चर्चा को नई दिशा दे दी है।

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