महाकुंभ में भगदड़ से हाहाकार: संगम पर 20 की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

जन एक्सप्रेस/ प्रयागराज: महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात संगम तट पर भगदड़ मच गई। हादसे में अब तक 20 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ का दबाव इतना बढ़ गया कि बैरिकेड्स टूट गए और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। प्रशासन ने घटना के 13 घंटे बाद भी मौत या घायलों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।
कैसे हुआ हादसा?
मौनी अमावस्या पर 9 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज में मौजूद हैं। अमृत स्नान के कारण पांटून पुलों को बंद कर दिया गया था, जिससे संगम नोज पर भारी भीड़ जमा हो गई।
एक्सेस और एग्जिट रास्ते अलग नहीं होने के कारण भगदड़ के दौरान श्रद्धालु सुरक्षित निकल नहीं पाए।
अफवाह फैलते ही लोग भागने लगे और बैरिकेड्स टूट गए, जिससे कई लोग कुचल गए।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे संगम पर ही स्नान करने की जिद न करें, गंगा हर जगह पवित्र है।
वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर बदइंतजामी और वीआईपी कल्चर को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मांग की कि महाकुंभ की व्यवस्था सेना के हवाले कर देनी चाहिए।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
70 से ज्यादा एंबुलेंस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल भेजा गया।
संगम नोज इलाके को NSG कमांडो ने सील कर दिया, आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रयागराज से सटे जिलों में श्रद्धालुओं को रोका गया।
सुरक्षा के बावजूद प्रशासन नाकाम?
महाकुंभ में 60,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, फिर भी प्रशासन भीड़ प्रबंधन में विफल रहा। मंगलवार को ही 5.5 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे, इसके बावजूद व्यवस्थाएं चाक-चौबंद नहीं की गईं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इस हादसे से कोई सबक लेगी, या फिर आस्था के नाम पर जान जाने का सिलसिला जारी रहेगा?