उत्तर प्रदेश

काशी में होगा धर्म निर्णयालय का गठन, हिन्दू खुद को न समझे अकेलाः ज्योतिषपीठ शंकराचार्य

वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में मंगलवार को ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के संन्यास के 21 वर्ष पूर्ण होने पर विविध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संन्यास समज्या कार्यक्रम में उमड़े श्रद्धालुओं और संतों ने डमरू व शंख बजाकर शंकराचार्य का स्वागत किया। प्रथम सन्यास समज्या कार्यक्रम में शंकराचार्य ने झंडारोहण किया। इसके पहले लगभग 213 सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शंकराचार्य का अभिनंदन वंदन किया। इसके बाद बटुकों ने यौगिक क्रियाओं व योग कलाओं का प्रदर्शन किया। जिसका अवलोकन शंकराचार्य ने भी किया। कार्यक्रम की शुरूआत वैदिक मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम में राम जनम योगी ने 3 मिनट तक लगातार शंख वादन कर उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। उपस्थित संतों व भक्तों ने करतल ध्वनि से उनका उत्साह बढ़ाया। जब व्यक्ति सन्यासी बनता है तो उसका नवजन्म होता है इसी बात को ध्यान रख श्रीकृष्ण तिवारी ने सोहर और मांगल्य गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में शंकराचार्य का पादुका पूजन ज्योतिर्मठ के मुख्य कार्याधिकारी चन्द्र प्रकाश उपाध्याय, गिरीश चन्द्र तिवारी,रवि त्रिवेदी आदि ने किया।

-श्रृंगेरी व द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य ने प्रेषित किया मंगलकामना सन्देश

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सन्यास के 21 वर्ष पूर्ण होने पर श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य महास्वामी विधु शेखर भारती,द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने मंगलकामना संदेश भेजा।

-शंकराचार्य ने किया काशी के 21 विभूतियों को सम्मानित

कार्यक्रम में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने काशी की सुमेधा पाठक सहित 21 विभूतियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त विद्वान पं. शत्रुघ्न त्रिपाठी ने शंकराचार्य के कुंडली का विश्लेषण किया। अयोध्या राम मंदिर श्रीराम जन्मभूमि के सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता ने सन्यास परम्परा के ऊपर शोधपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया।

-हिन्दू स्वयं को अकेला न समझे

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि शंकराचार्य पद पर जब से प्रतिष्ठित हुए हैं तब से वो हिंदुओं के घर घर जाकर उनको आश्वासन दे रहे हैं और बता रहे हैं कि स्वयं को अकेला न समझें। आपके पथपदर्शक हम हैं और हम आपके दुःख सुख में सदैव आपके साथ खड़े हैं। उन्होंने बताया कि धर्म के नाम पर हो रहे मनमानी को रोकने के लिए काशी में धर्मनिर्णयालय का गठन किया गया है। जिसमें काशी सहित देशभर के विद्वान सम्मिलित होंगे । इसमें पहला मुकदमा ज्योतिर्लिंग के विवाद पर होगा और इस पर निर्णय दिया जायेगा। कार्यक्रम के समापन के पूर्व रंगकर्मी उमेश भाटिया ने आदि शंकराचार्य भगवान पर आधारित एकाकी नाटय, कोलकाता के पं बिरजू महाराज के शिष्य कौशिक माइति ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी।

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