देश

पर्यावरण संरक्षण एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के बर्तनों का बहिष्कार का लिया संकल्प

बेतिया । सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में श्रावण मास के प्रथम सोमवार को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें इस महीने में पेड़ पौधे लगाने एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के बर्तनों के बहिष्कार का संकल्प मिलाते हुए ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ने कहा कि श्रावण हिंदी कैलेंडर का पाँचवाँ महीना है । भारत के राष्ट्रीय नागरिक कैलेंडर में , श्रावण वर्ष का पाँचवाँ महीना है। तमिल कैलेंडर में , इसे अवनी के रूप में जाना जाता है एवं सौर वर्ष का पाँचवाँ महीना है। चंद्र धार्मिक कैलेंडर में, श्रावण अमावस्या (अमांता परंपरा के अनुसार ) या पूर्णिमा ( पूर्णिमांत परंपरा के अनुसार) से शुरू होता है और वर्ष का पांचवां महीना होता है।

श्राबोन ( बंगाली में इसे श्रवण भी कहा जाता है)) सौर बंगाली कैलेंडर का चौथा महीना है । यह नेपाली कैलेंडर का चौथा महीना भी है । श्रावण वर्ष ( वर्षा ऋतु ) का दूसरा महीना भी है ।श्रावण का महीना पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , क्योंकि यह दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन से जुड़ा है । दक्षिण एशिया में हिंदुओं के लिए, श्रावण का महीना उपवास का महीना है । कई हिंदू प्रत्येक सोमवार को शिव या प्रत्येक मंगलवार को पार्वती के लिए उपवास करते हैं। इस महीने के मंगलवार के व्रत को स्थानीय तौर पर “मंगला गौरी व्रत” के नाम से जाना जाता है।

श्रावण हिंदी कैलेंडर में एक पवित्र महीना माना जाता है। साथ ही सोमवार के दिन शिव की विशेष पूजा एवं व्रत रखा जाता है। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, नीरोजा ग्रीन इंडिया परिवार के संस्थापक डॉ नीरज गुप्ता,ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा, डॉ अमानुल हक डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से कहा कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बर्तनों के बहिष्कार के साथ पेड़ पौधे लगाने की अपील की, प्लास्टिक की बोतल-टिफिन एवं बर्तनों में है कैंसर।

सांस के जरिए भी अब प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं!

प्लास्टिक का इस्तेमाल हमारी जिंदगी में इतना बढ़ गया है कि त्योहारों एवं अवसरों पर भूख मिटाने के लिए परोसे गए गरमा गरम खाने से लेकर थकान मिटाने वाले ठंडे-ठंडे कोल्ड ड्रिंक्स ,पानी… एवं चाय की चुस्कियों तक…हम न जाने कितने बार प्लास्टिक के बर्तनों का इसेतमाल करते हैं। ऑफिस में खाना गर्म हो या आउटिंग पर खाना ले जाना हो। किसी न किसी रूप में प्लास्टिक ही हमारा साथी होता है। लेकिन यही प्लासिक आपके शरीर में धीरे-धीरे घुल रहा है। खाने के हर निवाले और पानी की हर घूंट के साथ ये जहर आपके शरीर के अंदर पहुंच रहा है। यहां तक की सांस के जरिए भी अब प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं। जो आपकी बीमार, बहुत बीमार करने के लिए काफी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button