कांग्रेस में बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है
देहरादून । कांग्रेस में राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पूनिया मामले को ठंडा करने उत्तराखंड आए हैं, लेकिन नेताओं की बयानबाजी थम नहीं रही है। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पार्टी को लेकर काफी परेशान हैं।
हाईकमान का पीएल पूनिया को पर्यवेक्षक बनाए जाने और शनिवार को उनके आगमन से पूर्व एक बार फिर चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर निशाना साधते हुए कहा गया कि यादव कब आते हैं और कब चले जाते हैं, कुछ पता नहीं चलता। उनका कहना है कि प्रभारी होने के नाते उनका दायित्व है कि वह अधिक से अधिक समय यहां रहे पार्टी के लोगों की समस्याओं को समझें और आगे की रणनीति पर काम करें, लेकिन उनका तो यह भी पता नहीं चल पाता है कि वह कब आए और कब चले गए और क्या करने आये थे।
उनके इस बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने यादव का बचाव करते दिखे और उनके दिशा निर्देशन में होने वाले काम भी गिनवाने लगे, लेकिन यह सच है कि जहां भाजपा के प्रदेश प्रभारी लगातार भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दिखाई देते हैं वहीं यादव को कभी नहीं देखा गया, वह बस चुनाव के दौरान ही आते जाते हैं।
शनिवार को देर शाम तक पीएल पूनिया दून आने वाले हैं, लेकिन उनके आने से पूर्व ही कांग्रेसी नेताओं के बीच यह चर्चा है कि जब सभी स्वयंभू और बड़े नेता प्रदेश में आते हैं तो यहां न कोई किसी की मानता है और न सुनता है तो फिर पीएल पूनिया भी यहां आकर क्या करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि वे सभी बड़े नेताओं महानगर और जिलाध्यक्षों से बात कर अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे। माहरा का कहना है कि उनका प्रयास है कि सभी नेता मिलकर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटें। जिनके बयानों से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है, वे उस तरह की बयानबाजी से बचें।
कांग्रेस की यही धड़ेबाजी 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव में और पिछले निकाय चुनाव में करारी हार का कारण बनी। इसके बाद भी कांग्रेसी नेताओं के रवैया में कतई भी बदलाव नहीं आया है। भले ही अब कांग्रेसी नेता 2024 के चुनाव में अपनी जीत के दावे कर रहे हों, लेकिन चुनाव परिणाम ही दावों की हकीकत बताएंगे।