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“गारंटी देकर हेलीकॉप्टर चलाइए जिसमें कोई न मरे” — बीजेपी नेता के बयान पर बवाल

केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसे के सवाल पर दुष्यंत गौतम का जवाब, कांग्रेस ने बताया असंवेदनशील

जन एक्सप्रेस/देहरादून(उत्तराखण्ड) : उत्तराखंड के केदारनाथ में हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर हादसे के बाद जहां पूरे देश में शोक और सवालों का माहौल है, वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम का एक बयान अब विवाद की वजह बन गया है। पत्रकारों द्वारा हादसे की ज़िम्मेदारी और सुरक्षा उपायों पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा — “आप ही चला दीजिए हेलीकॉप्टर, जिसमें लोग न मरें। गारंटी देकर चलाइएगा!”

संवेदनशील मौके पर गैरजिम्मेदाराना बयान?

यह बयान ऐसे समय पर आया है जब उत्तराखंड में तीर्थयात्रा के दौरान लगातार हो रहे हेलीकॉप्टर हादसों को लेकर जनता और विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहे हैं। पिछले छह हफ्तों में पांच हादसों में 13 लोगों की जान जा चुकी है। इन हादसों ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, हेलीकॉप्टर सेवाओं की गुणवत्ता और आपातकालीन प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पत्रकारों पर पलटे, जवाबदेही से किनारा?

दुष्यंत गौतम से जब पत्रकारों ने हादसे को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने जवाबदेही स्वीकारने के बजाय उल्टा पत्रकारों को ही नसीहत दे डाली। उनका कहना था —
“आप ऐसे हेलीकॉप्टर चला दीजिए जिसमें क्रैश ना हो, गारंटी देकर चलाइएगा।”
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों तक तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

कांग्रेस का पलटवार — “दुख पर भी राजनीति और अहंकार!”

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बयान को बेहद “असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना” बताया है। कांग्रेस प्रवक्ताओं का कहना है कि जब जनता जवाब मांग रही है, तब भाजपा नेता तंज कस रहे हैं, जो इस सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।

हादसों का सिलसिला बना चिंता का विषय

केदारनाथ जैसे दुर्गम धार्मिक स्थलों पर हेलीकॉप्टर सेवाएं तीर्थयात्रियों के लिए जीवनरेखा मानी जाती हैं, लेकिन लगातार हो रहे हादसों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम, तकनीकी निरीक्षण की कमी और मानकों के उल्लंघन जैसे कई कारण इन हादसों के पीछे हो सकते हैं।

सरकार के सामने अब जवाबदेही का सवाल

दुष्यंत गौतम के बयान ने जहां विवाद को हवा दी है, वहीं यह भी स्पष्ट किया है कि जनता अब जवाब चाहती है— न कि चुभते हुए तंज। सवाल उठ रहा है: क्या सरकार इन हादसों से सबक लेगी या सियासत ही जवाब बनेगी?

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