लखनऊ

सपा अध्यक्ष ने पुस्तक कर्ण का विमाेचन करते हुए साहित्यकाराें काे किया सम्मानित

लखनऊ । दुर्योधन को भी यह पता था कि कर्ण अगर हमारे साथ है तो महाभारत जीती जा सकती है। कर्ण नहीं है हमारे साथ तो दूसरे पक्ष का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। यह बातें समाजवादी पार्टी (सपा)के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित पुस्तक विमोचन ‘कर्ण’ का विमोचन करते हुए कही। उन्होंने इस दौरान साहित्यकारों को सम्मानित किया। उन्होंने प्रदेश और देशवासियों समेत उपस्थित पत्रकारों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी।

अखिलेश यादव ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि आज उदयप्रताप सिंह को बधाई व धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने आज हिन्दी दिवस पर पुस्तक विमोचन कार्यक्रम और साहित्यकारों से मिलने का मौका दिया। इस दौरान उन्होंने विशेष तौर पर अब्दुल्ला बिस्मिल्ला को बधाई देता हूं। उनको सुनने के बाद उपस्थित लोगों के चेहरे पर बहुत दिनों बात उनको सुनकर जो खुशी थी उसके लिए उन्हें बधाई देता हूं। जब कभी कोई बड़ा कार्यक्रम हुआ तो उन्हें (अब्दुल्ला बिस्मिल्ला) को जरूर हम न्योता देंगे।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि आज हिंदी को जिस रूप में बढ़ाया जाना चाहिए था नहीं हुआ। आजादी के समय में भी हिंदी की बड़ी भूमिका रही है। भाषाओं का भी सम्मान किया जाना चाहिए। मैं भरोसा दिलाता हूं कि जिस तरह से राम मनोहर लोहिया जी, नेताजी ने हिंदी को बढ़ाने और संरक्षण के लिए जो काम किए हैं, उस काम को आगे बढ़ाएंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने किया। इस मौके पर वीरेद्र यादव, प्रमोद यादव समेत वरिष्ठजनों के साथ पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।

जम्मू में सपा भी लड़ेगी चुनाव

अखिलेश यादव ने कहा कि 370 के हटने के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहा है। इसलिए अबकी बार समाजवादी पार्टी ने भी वहां पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेगी।

अखिलेश ने बसपा से गठबंधन टूटने पर फिर दी सफाई

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बसपा से गठबंधन टूटने को लेकर अखिलेश यादव ने फिर सफाई दी। उन्होंने कहा कि जो बसपा और सपा का गठबंधन था वह ऐसा गठबंधन था जो बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर और डॉ राम मनोहर लोहिया जी करना चाहते थे अपने जीवनकाल में, वो नहीं कर पाए। उस समय जब सपा—बसपा का गठबंधन था तब मैंने कहा था कि ये देश की राजनीति बदलेगा। लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि वो गठबंधन ज्यादा नहीं चल सका। बात बहुत छोटी आई है। किसने किसका फोन नहीं उठाया और किसने किसको फोन किया। जिस समय सूचना मिली कि सपा बसपा का गठबंधन तोड़ दिया गया है उस समय मेरे बगल में एक बसपा के पुराने बड़े नेता बैठे थे। गठबंधन टूटने की चर्चा को लेकर सबसे पहले उनसे ही पूछा कि अब क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें भी ऐसे ही धोखा मिला था आपको भी धोखा मिल गया।

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