शिवरामपुर में 23.46 लाख की सरकारी योजना का ‘खेल’, सचिव ने इंटरलॉकिंग उखड़वाकर डंप कराई सामग्री
अटल भूजल योजना के तहत बनी संरचना को ध्वस्त कर किया गया सरकारी धन का बंदरबांट, CDO के आदेश पर जांच में आरोप सिद्ध

जन एक्सप्रेस /चित्रकूट: चित्रकूट जनपद के सदर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत शिवरामपुर में भारत सरकार की अति-महत्वाकांक्षी अटल भूजल योजना के तहत कराए गए निर्माण कार्यों को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है।
ग्राम प्रधान प्रियंका जायसवाल और पंचायत सचिव मान सिंह पर आरोप है कि दोनों ने मिलीभगत कर 23.46 लाख रुपए की लागत से बनी इंटरलॉकिंग, रेलिंग, बेंच और अन्य संरचनाओं को ध्वस्त करा दिया और सामग्री को कथित रूप से एक गौशाला में डंप करवा दिया गया।
सीडीओ ने लिया संज्ञान, जांच में आरोपों की पुष्टि
स्थानीय ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के बाद मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अमृतपाल कौर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए।
शनिवार को खंड विकास अधिकारी महिमा विद्यार्थी, अटल भूजल योजना के नोडल अधिकारी सौरभ, और अवर अभियंता प्रशांत शुक्ला ने संयुक्त रूप से स्थलीय निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ग्राम प्रधान और सचिव की मिलीभगत से निर्माण कार्य को जानबूझकर नष्ट कराया गया और सामग्री को गायब कर दिया गया। इस संबंध में जांच रिपोर्ट CDO को भेज दी गई है।
23.46 लाख की लागत से बना था तालाब व अन्य ढांचे
बताया जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में शिवरामपुर के पट्टा तालाब में इनलेट, आउटलेट, घाट, रैंप, इंटरलॉकिंग खड़ंजा, रेलिंग एवं बेंच का निर्माण कराया गया था।
कार्यदायी संस्था क्षेत्र पंचायत चित्रकूटधाम कर्वी थी।
परंतु निर्माण के कुछ ही समय बाद इन संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार सामग्री को गौशाला में डंप कराया गया, ताकि दोबारा उपयोग करके सरकारी धन की हेराफेरी की जा सके।
सचिव पर अन्य ग्राम पंचायतों में भी घोटालों के आरोप
यह पहला मामला नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि सचिव मान सिंह के कार्यकाल में अन्य ग्राम पंचायतों जैसे इटखरी, पड़री, मैनहाई माफी, दुबारी, बरवारा आदि में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है।
सिर्फ अटल भूजल योजना ही नहीं, बल्कि गौशालाओं में चारा, पशु आहार और अन्य आपूर्ति के नाम पर भी सचिव पर घोटाले के आरोप लगे हैं।
स्थानीय निवासी नीरज, धर्मेन्द्र मिश्रा सहित अन्य लोगों ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी है, जिसमें कहा गया है कि सचिव और ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला किया गया है।
जांच से खुल सकते हैं और भी बड़े घोटाले
ग्राम पंचायतों में विकास योजनाओं की जांच अगर गंभीरता से कराई जाए, तो सचिव मान सिंह और उनकी टीम के खिलाफ कई और घोटाले सामने आ सकते हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए और भ्रष्ट तंत्र का पर्दाफाश किया जाए।
अब सवाल ये उठता है…
क्या इस तरह योजनाओं को मिट्टी में मिलाना लोकतंत्र का मज़ाक नहीं है?
कब तक भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी सत्ता संरक्षण में बचते रहेंगे?
और सबसे अहम — सरकारी धन की लूट पर लगाम लगाने वाला कोई “हीरो” सामने आएगा या नहीं?







