समर्सिबल घोटाला: 74 हजार का हेरफेर, ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का बोलबाला
प्रधान और सचिव पर योगी के जीरो टॉलरेंस नीति का असर क्यों नहीं?

जन एक्सप्रेस/ चित्रकूट। मानिकपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में सरकारी धन के दुरुपयोग की नई कहानियां सामने आ रही हैं। खिचरी ग्राम पंचायत में प्रधान और सचिव ने भ्रष्टाचार की सीमाएं लांघते हुए समर्सिबल की स्थापना के नाम पर 74 हजार रुपए से अधिक का फर्जी भुगतान कर दिया।
सरकारी योजनाओं के तहत राज्य वित्त और 15वें वित्त आयोग की धनराशि का मनमाने तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। गौशाला की बाउंड्रीवाल को बिना बुनियाद खड़ा कर दिया गया है, जो पूरी तरह घटिया निर्माण का नमूना है। इतना ही नहीं, स्टेशनरी और सफाई के भुगतान भी गिट्टी-बालू सप्लाई करने वाली फर्मों के नाम कर दिए गए हैं। ग्रामीणों ने इस फर्जीवाड़े और घटिया निर्माण की शिकायत जिलाधिकारी से की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
नियमों की अनदेखी, फिर भी भ्रष्टाचार जारी
नई व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायत सचिवालय से भुगतान की प्रक्रिया को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए गए थे। इसके बावजूद खिचरी ग्राम पंचायत में नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
गौशाला में समर्सिबल स्थापना के नाम पर दोहरी गड़बड़ी
13 जनवरी 2024 को गौशाला में समर्सिबल की स्थापना के नाम पर 28,686 रुपए वीरेंद्र ट्रेडर्स को दिए गए। इसके बाद 46,902 रुपए का भुगतान शिवम ट्रेडर्स को कर दिया गया, जो सिर्फ निर्माण सामग्री की सप्लाई करती है।
ग्राम प्रधान के खाते में गलत भुगतान
पेयजल आपूर्ति और टेंडर के मद में 70,782 और 10,000 रुपए का भुगतान सीधे ग्राम प्रधान उर्मिला देवी के खाते में किया गया, जो स्पष्ट रूप से नियमों के खिलाफ है।
ग्रामीणों का सवाल है कि जब शासन स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, तो यह गड़बड़ी कैसे हो रही है? जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।






