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जौनपुर के सुईथाकला ब्लॉक प्रमुख को लगा बड़ा झटका: क्षेत्र पंचायत के सभी 45 परियोजनाओ का टेंडर निरस्त, बड़े भ्रष्टाचार की पुष्टि

जन एक्सप्रेस। जौनपुर।  जौनपुर जिले के सुईथाकला क्षेत्र पंचायत में विकास कार्यों से जुड़े कथित टेंडर घोटाले पर आखिर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सभी 45 परियोजनाओ का टेंडर निरस्त कर दिए। लंबे समय से उठ रहे सवालों, जनप्रतिनिधियों के आरोपों और जन एक्सप्रेस की लगातार उठाई गई खबरों के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीर मानते हुए यह बड़ा निर्णय लिया है।

पहले से पूरे काम पर निकाले गए नए टेंडर

जानकारी के मुताबिक, ब्लॉक प्रशासन ने जिन 45 परियोजनाओ कार्यों के लिए टेंडर जारी किया था, उनमें से करीब 60 फीसदी कार्य पहले ही पूर्व ब्लॉक प्रमुख, ग्राम पंचायतों एवं विभिन्न विभागों द्वारा कराए जा चुके थे। क्षेत्र पंचायत सदस्यों का आरोप था कि— “पुराने और पूरे हो चुके कामों को दोबारा टेंडर में शामिल कर करोड़ों रुपये की बंदरबांट की तैयारी थी।”

सदस्यों ने यह भी कहा कि किसी भी ग्राम पंचायत से एनओसी नहीं ली गई, जबकि नियमों के अनुसार बिना एनओसी कोई नया टेंडर जारी नहीं किया जा सकता।

जन एक्सप्रेस की खबर बनी आधार, प्रशासन आया हरकत में

मामले की शुरुआत से ही जन एक्सप्रेस ने पुराने कामों पर नए टेंडर निकालने और अधिकारियों की चुप्पी पर गंभीर सवाल उठाए थे। खबर का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।

जांच में पाया गया कि

कई काम टेंडर प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही करा दिए गए थे

टेंडर सूची में गलत स्थल की फोटो लगा दी गई थी

बैठक में प्रस्तावित कार्यों से अलग लिस्ट जारी की गई

ब्लॉक कार्यालय के अपने भवन के पहले से पूरे काम पर भी टेंडर डाल दिया गया

इन तथ्यों ने पूरे मामले को संदिग्ध बना दिया और टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए।

ब्लॉक प्रमुख के सारे हथकंडे फेल, सभी टेंडर रद्द

जांच शुरू होने के बाद भी लंबे समय तक मामले को टालने की कोशिश होती रही, लेकिन आरोप इतने स्पष्ट थे कि अंततः जिला प्रशासन को पूरी प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी। अधिकारियों ने माना कि—
“प्रक्रिया में कई स्तरों पर अनियमितताएँ थीं। शासन के निर्देश पर कार्रवाई अनिवार्य थी।”

इस बीच मामला विधानसभा की पंचायती राज समिति तक पहुंच चुका है, जिसमें ब्लॉक प्रमुख के कार्यकाल के सभी कार्यों की विस्तृत जांच की मांग की गई है। समिति ने रिपोर्ट तलब करते हुए कहा है कि ऐसे मामलों में “शून्य सहनशीलता” की नीति अपनाई जाए।

जनता पूछ रही—कौन है इस खेल का मास्टरमाइंड?

टेंडर निरस्त होने के बाद भी कई सवाल हवा में तैर रहे हैं—

जब काम पहले ही पूरे थे, तो नया टेंडर क्यों निकाला गया?

एन ओ सी न होने के बावजूद फाइलें कैसे आगे बढ़ीं?

जांच टीम ने गलत स्थान की फोटो क्यों लगाई?

क्या किसी स्तर पर संरक्षण प्राप्त था?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते जन एक्सप्रेस इस मुद्दे को सामने न लाता, तो करोड़ों रुपये का यह खेल दबा दिया जाता।

निष्कर्ष

बड़ी कार्रवाई तो हुई, लेकिन जिम्मेदारी अभी तय नहीं

भले ही 45 टेंडर निरस्त कर दिए गए हों, लेकिन अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है। जिले में चर्चा है कि यदि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो कई नाम सामने आ सकते हैं।

जनता की उम्मीद है कि प्रशासन सिर्फ टेंडर रद्द करने तक ही नहीं रुकेगा, बल्कि इस घोटाले में शामिल हर अधिकारी व जिम्मेदार व्यक्ति पर सख्त कार्रवाई करेगा।

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