सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने लगाई जस्टिस यादव को फटकार, 45 मिनट तक तक किए सवाल-जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में दिये बयान के कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद छिड़ गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्वत: संज्ञान लिया
जन एक्सप्रेस। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए।
सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति यादव मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और अपने बयानों के बारे में सफाई दी है। हालांकि न्यायमूर्ति यादव से 45 मिनट तक सवाल-जवाब करने के बाद भी माना जा रहा है की कॉलेजियम दोबारा पूछताछ के लिये बुला सकता हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की कॉलेजियम ने की बात
सूत्रों के मुताबिक CJI संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पांच जजों के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव को वीएचपी के एक कार्यक्रम में दिए गए उनके विवादित भाषण के लिए फटकार लगाई है। साथ ही उन्हें सलाह दी कि वे अपने संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखें और सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतें। कॉलेजियम में CJI के अलावा जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हृषिकेश रॉय और ए जस्टिस एस ओक भी शामिल थे।
कॉलेजियम नहीं हुआ जस्टिस शेखर से स्पष्टीकरण से सहमत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यायमूर्ति यादव के स्पष्टीकरण से कॉलेजियम सहमत नहीं था और भाषण में जिस तरह से उन्होंने कुछ बयान दिए, उसके लिए उन्हें फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें बताया कि संवैधानिक पद पर होने के नाते, एक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज का आचरण, व्यवहार और भाषण लगातार जांच के दायरे में रहती है और इसलिए उनसे उच्च पद की गरिमा बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों ने जस्टिस यादव से कहा कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा दिया गया हर बयान, चाहे वह अदालत कक्ष में हो या बाहर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में, न केवल पद की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए बल्कि न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। बता दे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में दिये बयान के कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद छिड़ गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्वत: संज्ञान लिया था।
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