राजस्थान

जब तक नहीं मिलेगा न्याय, उबलती रहेगी चाय!” — 498A के खिलाफ चाय वाले का अनोखा विरोध

प्लास्टिक की हथकड़ी पहनकर चाय बेचते हैं, होर्डिंग पर दर्ज हैं सिस्टम से सवाल, दहेज कानून के दुरुपयोग के खिलाफ अनोखा विरोध, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

जन एक्सप्रेस/राजस्थान : जब तक नहीं मिलेगा न्याय, उबलती रहेगी चाय” — ये सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की वेदना और प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है। अंता कस्बे में रहने वाले कृष्णा कुमार धाकड़ की चाय की टपरी इन दिनों राजस्थान से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

कभी UPSC की तैयारी करने वाले कृष्णा कुमार आज ‘498A T Cafe’ नाम की टपरी चलाते हैं — वो भी अपने ससुराल के ठीक सामने। टपरी पर लगी होर्डिंग और उनकी शैली लोगों का ध्यान खींच रही है, लेकिन इसकी कहानी दर्द और संघर्ष से भरी है।

498A और धारा 125 का दर्द, चाय के जरिए बयान
कृष्णा कुमार पर उनकी पत्नी ने दहेज उत्पीड़न (IPC की धारा 498A) और भरण-पोषण (CrPC 125) के तहत केस दर्ज कराया था। उनका दावा है कि यह मामला झूठा और दुर्भावनापूर्ण है, और इसी के विरोध में उन्होंने यह प्रतीकात्मक और साहसी कदम उठाया है।

हर दिन कृष्णा कुमार प्लास्टिक की हथकड़ी पहने चाय परोसते हैं। उन्होंने अपने टी स्टॉल पर शादी का सहरा और वरमाला भी टांग रखी है — एक तरह से यह उनकी टूटी शादी और कानूनी लड़ाई की ‘झांकी’ बन गई है।

होर्डिंग्स और नारों से जताया विरोध
उनकी टपरी के चारों ओर लगे पोस्टरों और बैनरों पर लिखे नारे लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। कुछ प्रमुख नारे इस प्रकार हैं:

  • “जब तक नहीं मिलेगा न्याय, उबलती रहेगी चाय”
  • “आओ चाय पर चर्चा करें, 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा”

ससुराल के सामने टपरी लगाने की वजह?
कृष्णा कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी टपरी जानबूझकर अपने ससुराल के सामने लगाई है ताकि उन्हें याद रहे कि वो किस अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनका मानना है कि 498A जैसे कानून का दुरुपयोग पुरुषों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से तबाह कर देता है।

सोशल मीडिया पर समर्थन और सवाल
कृष्णा की यह पहल सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। कई लोग इसे एक साहसी विरोध मान रहे हैं तो कुछ इसे व्यवस्था के खिलाफ एक सटीक कटाक्ष।

इस अनोखे विरोध ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या दहेज विरोधी कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है? और यदि हां, तो समाज और कानून व्यवस्था इस पर कैसे प्रतिक्रिया दे रही है।

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