वर्षों से अतिक्रमण का शिकार कोताहा झील पर नहीं पड़ रही प्रशासन की नजर
वृक्षारोपण हेतु संरक्षित भूमि भी हो गई गायब

जन एक्सप्रेस/विश्वामित्र पांडेय/आशीष कुमार सिंह
लखनऊ। राजधानी में राजधानी में किए जा रहे सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन की शक्ति इसी बात से जान पड़ती है कि सरोजिनी नगर तहसील के अंतर्गत आने वाली कोताहा झील प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा बेच डाली गई। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इस झील के पुनरुद्धार हेतु प्रशासन की नजर आज तक नहीं पहुंच पाई।
जनपद लखनऊ के सरोजिनी नगर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत तेज कृष्ण खेड़ा के गाटा संख्या 445 क रकबा लगभग 129 बीघा जोकि तालाब खाते में दर्ज है, लेकिन राजस्व अधिकारियों की नजर आज भी इस तालाब को सुरक्षित करने पर नहीं पड़ी। तालाब की जमीन को बहुतायत मात्रा में बिल्डरों द्वारा प्लाटिंग करके बेचा जा चुका है।
वहीं ईट गांव के गाटा संख्या 484 व 1080 पर भी अवैध कब्जा कर बहुतायत मात्रा में घर बनाए जा चुके हैं। फिलहाल तहसील प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी जमीनों की कालाबाजारी आज भी जारी है लेकिन प्रशासन की नरमी के कारण फर्जी तरीके से प्रापर्टी डीलर जमीनों का काला कारोबार कर रहे हैं।
दूसरी तरफ ग्राम पंचायत पुरैना के मजरा सराय मुहीब में वृक्षारोपण हेतु लगभग 5 बीघा सरक्षित भूमि की बलि प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा चढ़ा दी गई है। जोकि तहसील प्रशासन की सुस्ती का जीता जागता प्रमाण माना जा सकता है।
पूर्व में भी हुए हैं जांच के आदेश
जानकारों की माने तो पूर्व में भी सक्षम अधिकारियों द्वारा तेज कृष्ण खेड़ा में कोताहा झील पर किए गए अतिक्रमण की जांच के आदेश किए गए हैं, लेकिन वह सारे आदेश सरकारी फाइलों के बंडल में कहीं दबकर रह गए। हालांकि लोगों का मानना है कि जब सरकार अपनी जमीन को संरक्षित करने में सफल नहीं हो पा रही है, तो आम आदमी को अपनी संपत्ति किसी दूसरे द्वारा कब्जाए जाने की शिकायत करने के बाद उसका निस्तारण न हो पाना जायज है।
मुख्यमंत्री के आदेशों का भी नहीं हो रहा असर
फिलहाल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अपने अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा है कि अधिकारी अपनी कार्य शैली में या तो सुधार करें या फिर कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार रहें। हालाकि मुख्यमंत्री के फरमान के बावजूद कुछ अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग नहीं हो रहे। ऐसे में राजधानी में हो रही जमीनों की कालाबाजारी पर अंकुश लग पाना नामुमकिन सा माना जा रहा हैं।
रजिस्ट्रार कार्यालय पर भी धड़ल्ले से हो रही फर्जी रजिस्ट्री
सूत्रों की माने तो तहसील से लेकर रजिस्ट्रार ऑफिस तक जमीन की कालाबाजारी का असर देखने को मिल रहा है। सूत्रों का मानना है कि रजिस्ट्रार ऑफिस में भी ग्राहकों व किसानों की आंखों में धूल झोंक कर प्रॉपर्टी का गोरखधंधा तेजी से फल -फूल रहा है।
बड़ा सवाल!
कोताहा तालाब के अस्तित्व पर छाए संकट का कौन है जिम्मेदार?
लेखपाल द्वारा क्यों नहीं की गई तालाब पर हुए अतिक्रमण की शिकायत?
आखिर कोताहा तालाब को खाली कराने के लिए कब चलेगा बाबा का बुलडोजर?






