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जनधन खातों की स्थिति चिंताजनक, 35 हजार से ज्यादा खाते निष्क्रिय

जन एक्सप्रेस/ लखनऊ:उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में वित्तीय समावेशन के उद्देश्य से खोले गए जनधन खातों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। 2014 में केंद्र सरकार के निर्देश पर 6,78,994 जनधन खाते खोले गए थे, जिनमें से अब 35,000 से ज्यादा खाते निष्क्रिय हो चुके हैं। इन खातों का मुख्य उद्देश्य था सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाना, लेकिन अब ये खाते बिना किसी लेन-देन के निष्क्रिय हो गए हैं। बैंकवार आंकड़ों के अनुसार, आर्यावर्त बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के खाते बड़ी संख्या में निष्क्रिय हो गए हैं, जो बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने में अक्षम बना रहे हैं।

महंगाई और सरकारी सहायता की कमी के कारण खाताधारक कर रहे हैं लेन-देन में कमी
खाताधारकों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के चलते बचत करना मुश्किल हो गया है और कई खाताधारकों को सरकारी सहायता के रूप में कोई धनराशि प्राप्त नहीं हो रही, जिससे उनके खातों में लेन-देन बंद हो गया है। महिला खाताधारकों का कहना है कि शुरू में उन्हें सरकारी सहायता मिली थी, लेकिन अब वह सहायता बंद हो चुकी है, जिसके कारण उनके खातों में कोई गतिविधि नहीं हो रही। इसके बावजूद, जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक रवि शंकर ने बताया कि खाताधारकों को नियमित लेन-देन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि उनके खाते निष्क्रिय होने से बच सकें। बैंकों द्वारा इस दिशा में विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।

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