पूर्व सभासद ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिख कर अधीशाषी अधिकारी की शिकायत की
मीरजापुर। जनसमस्याओं व शिकायतों को लेकर सजग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की मंशा को विभागीय अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। नगर पालिका परिषद मीरजापुर के अधीशाषी अधिकारी (ईओ) अंगद गुप्ता के जनविरोधी व भ्रष्ट कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे पालिका परिषद सदन के प्रस्ताव को भी दरकिनार कर गए।
वित्तीय अनियमितता के कारण वेतन रोकने के प्रस्ताव पारित होने के बाद भी जनवरी माह 2023 का वेतन आहरित करा लिया। हैरत की बात यह रही कि इसकी जानकारी शासन तो दूर अधिकारियों को भी कानों कान खबर नहीं लगी।
नगर पालिका परिषद के बरौंधा वार्ड संख्या 14 से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सभासद मीरजापुर विंध्याचल विकास प्राधिकरण के सदस्य विरेंद्र कुमार तिवारी ने भ्रष्ट ईओ के विरूद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि तीन जनवरी 2023 को नगर पालिका परिषद मीरजापुर की बोर्ड की बैठक में लगभग 50 लाख की वित्तीय अनियमितता के कारण ईओ अंगद गुप्ता व कर निर्धारण अधिकारी का वेतन रोकने का प्रस्ताव पारित किया गया था। आश्चर्य है कि ईओ ने अपना वेतन स्वेच्छाचारिता पूर्वक लेखा कक्ष पर दबाव व धमकी देकर स्वयं पारित करके जनवरी 2023 का वेतन आहरित कर लिया, लेकिन कर निर्धारण अधिकारी का वेतन भुगतान नहीं किया गया है। फरवरी व मार्च का भी वेतन बन गया है और भुगतान की स्थिति में है। जबकि बोर्ड द्वारा पारित आदेश बोर्ड ही निरस्त कर सकता है। इसके अलावा आयुक्त अथवा जिलाधिकारी ही इस पर निर्णय ले सकते हैं। बोर्ड का आदेश अभी तक यथावत और किसी सक्षम अधिकारी द्वारा निरस्त नहीं किया गया है।
शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से ईओ द्वारा की गई स्वेच्छाचारी वित्तीय अनियमितता की जांच आयुक्त विंध्याचल मंडल या जिलाधिकारी से कराने की मांग की, ताकि उनकी वित्तीय स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लग सके। उल्लेखनीय है कि भ्रष्ट ईओ के विरूद्ध राज्यसभा सदस्य रामसकल भी शासन को पत्र लिख चुके हैं। अब देखना यह है कि आखिर भ्रष्ट ईओ के विरूद्ध कार्रवाई होगी या नहीं।
यह है मामला
तीन जनवरी 2023 को हुई नगर पालिका परिषद के बोर्ड की बैठक में सभासद जाहिद अख्तर ने कहा कि कर निर्धारण अधिकारी ने जांच कमेटी को विज्ञापन से संबंधित आधी-अधूरी पत्रावली दिया। इससे जांच नहीं हो पाई है। पालिका को कम से कम 50 लाख की क्षति पहुंचाई गई है। जांच में सहयोग न करना, पूरी पत्रावली उपलब्ध न कराना आदि से स्पष्ट होता है कि इसमें कर निर्धारण अधिकारी की मिलीभगत है। इस संदर्भ में उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाए। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहा कि इस संदर्भ में कर निर्धारण अधिकारी को नोटिस दिया गया, किंतु कोई जवाब नहीं मिला। अंत में इनकी सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रविष्टि के लिए आदेश जारी किया गया तो पता चला कि ये अपनी सेवा पुस्तिका अपने पास रखे हैं, उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। फिर अध्यक्ष ने कहा कि क्या सेवा पुस्तिका में अंकन करने का अधिकार मुझे है अथवा नहीं। इनकी सेवा पुस्तिका संजय कुशवाहा ने कर निर्धारण अधिकारी को दिया, लेकिन कर निर्धारण अधिकारी ने अभी तक सेवा पुस्तिका नहीं दिया। कर निर्धारण अधिकारी ने कहा कि उनकी सेवा पुस्तिका शासन ने मंगाया था, उन्हीं के पास है। फिर अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि कल तक प्रत्येक दशा में सेवा पुस्तिका मुझे उपलब्ध करा दी जाए। साथ ही अधिशासी अधिकारी व कर निर्धारण अधिकारी का वेतन रोके जाने का प्रस्ताव सदन के समक्ष रखा गया, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से पास किया।
सभासद जाहिद अख्तर ने कहा कि शासन के आदेश की कापी दिया जाए और सेवा पुस्तिका वहीं है या आई है, कर निर्धारण अधिकारी से लिखित रूप से लिया जाए कि सेवा पुस्तिका इनके पास नहीं है। कर निर्धारण अधिकारी ने कहा कि दर निर्धारित करने का अधिकार पालिका को है। माह वार वसूली की जा रही है। वर्ष 2017 से 2020 तक मैं नहीं था। वहीं सभासद जाहिर अख्तर ने कहा कि पालिका निविदा कराने से पहले विभागीय दर निर्धारित करती है, किंतु यहां विभागीय दर निर्धारित किए बिना ही मनमाने तरीके से टेंडर करा दिया गया।