एमएलसी पिटाई कांड में नया मोड़: विधायक का ‘लेटर बम’, डीआईजी से मिले, मुख्यमंत्री को भी लिखा पत्र

जन एक्सप्रेस/लखनऊ/ बस्ती : एमएलसी पिटाई प्रकरण में अब राजनीति गर्मा गई है। मेहदावल से निर्दलीय विधायक अनिल त्रिपाठी ने मामले को तूल दे दिया है। बुधवार को उन्होंने बस्ती के डीआईजी से मुलाकात कर एक सनसनीखेज आरोपों से भरा पत्र सौंपा, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के एक एमएलसी के प्रतिनिधि सूरज सिंह सोमवंशी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की गई है।
विधायक ने सीधा आरोप लगाया है कि प्रतापगढ़ निवासी सूरज सिंह सोमवंशी बस्ती, संत कबीर नगर और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में लगातार सक्रिय है और ठेका पट्टियों में खुलेआम कमीशन वसूली करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इस प्रतिनिधि को इन जिलों में घूमने की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
ठेकेदारों से सौदेबाज़ी, अवैध कब्जा और डराने-धमकाने का आरोप
विधायक अनिल त्रिपाठी ने प्रमुख सचिव (गृह) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने कई संगीन आरोप लगाए हैं। पत्र के अनुसार:
- सूरज सिंह खुद को एमएलसी प्रतिनिधि बताकर पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और नगर विकास जैसे विभागों में ठेकेदारों से ठेका दिलाने के नाम पर सौदेबाज़ी करता है।
- वह पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में बिना किसी अनुमति और शुल्क के अवैध रूप से रुकता है।
- 22 मार्च को हुई ‘दिशा’ बैठक में भी वह एमएलसी प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुआ, जो संदेह के घेरे में है।
- व्यवसायियों और ठेकेदारों को धमकाकर शोषण करने की रणनीति अपनाई जा रही है।
विधायक का बयान:
“यह पूरा गिरोह कमीशन के लालच में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मैंने डीआईजी को सबूत दिए हैं और मुख्यमंत्री से भी मामले की जांच की मांग की है।”
बढ़ती है सियासी तपिश
इस पत्र के बाद सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग इसे सत्ता की गुटबाजी का नतीजा मान रहे हैं, तो वहीं कुछ के मुताबिक यह मामला वास्तव में ठेकेदारी व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है।
सवालों के घेरे में एमएलसी प्रतिनिधि की भूमिका
- कैसे कोई बाहरी व्यक्ति सरकारी बैठकों में भाग ले सकता है?
- क्या एमएलसी का नाम लेकर लोग धौंस दिखा रहे हैं?
- क्या ठेका व्यवस्था में बिचौलियों का बोलबाला है?
अब आगे क्या?
बस्ती डीआईजी से विधायक की शिकायत के बाद पुलिस विभाग ने भी जांच शुरू करने के संकेत दिए हैं। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक भूचाल आ सकता है।






