
जन एक्सप्रेस हरिद्वार : शांतिकुंज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को अत्यंत उत्साह, श्रद्धा और आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में देश-विदेश से आए साधक, शांतिकुंज परिवार और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के सदस्यों ने भाग लिया। पूरा परिसर कृष्णमय वातावरण में डूबा रहा।
श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या और शैलदीदी ने दिया संदेश
अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने अपने प्रेरणादायी संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण धर्म, प्रेम और कर्म के प्रतीक हैं। उनकी लीलाएं जीवन को संतुलन, निष्ठा और आनंद से भर देती हैं।
डॉ. चिन्मय पण्ड्या: युवाओं को आत्मिक ऊर्जा देती है कृष्ण भक्ति
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि श्रीकृष्ण केवल एक ऐतिहासिक पुरुष नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत हैं। यदि युवा उनके आदर्शों और संदेशों को अपनाएं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव निश्चित है।
कृष्ण लीलाओं का जीवंत मंचन, भजनों पर झूमे श्रद्धालु
कार्यक्रम की शुरुआत कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत भजनों से हुई, जिनमें श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूम उठे। श्री श्याम बिहारी दुबे ने माखनचोरी, रासलीला और गोवर्धन लीला जैसी श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का भावपूर्ण और जीवंत प्रस्तुतीकरण किया।
भक्ति और वैदिक विधियों से सजी आध्यात्मिक रात
जन्माष्टमी पर्व के वैदिक कर्मकांड भी पूर्ण श्रद्धा के साथ संपन्न हुए। “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” जैसे भजनों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। पूरे शांतिकुंज परिसर में भक्ति, उल्लास और गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया गया।






