
जन एक्सप्रेस/नैनीताल(उत्तराखंड) : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नैनीताल के प्रसिद्ध डीएसए मैदान में खेलकूद पर लगी पाबंदी को हटाते हुए बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि खेल पहले होंगे, बाकी धार्मिक, राजनीतिक और अन्य कार्यक्रम बाद में। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को खेलने, अभ्यास करने और व्यायाम करने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने खेल विभाग से कहा कि डीएसए मैदान में अब कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने कही ये अहम बातें:
- शारीरिक व्यायाम स्वस्थ जीवन के लिए अत्यावश्यक है, उम्र कोई बाधा नहीं।
- डीएसए मैदान नैनीताल की सेहत का केंद्र है — इसकी उपयोगिता केवल खेलों के लिए होनी चाहिए।
- चाहे जो संस्था हो, अगर वह टूर्नामेंट कराना चाहती है, उसे अनुमति दी जानी चाहिए — जैसे लैंडो लीग टूर्नामेंट।
- खेल विभाग, नगर पालिका और राज्य सरकार मिलकर यह तय करें कि कब-कब कौन से खेल आयोजित हों — इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
- मैदान में ट्रैक निर्माण भी खेलों की ज़रूरतों के अनुसार किया जाए।
क्या है मामला?
अधिवक्ता उन्नति पंत ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि जब से डीएसए मैदान को खेल विभाग को सौंपा गया है, तब से न सिर्फ स्थानीय लोगों की आवाजाही रोकी गई है बल्कि स्थानीय टूर्नामेंट और बच्चों की प्रैक्टिस पर भी रोक लगा दी गई है। जबकि पहले साल में 18 टूर्नामेंट होते थे, अब केवल चार को ही अनुमति दी गई है। यह न केवल क्षेत्रीय खिलाड़ियों के विकास के खिलाफ है, बल्कि सार्वजनिक हित का भी उल्लंघन है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट का यह आदेश न केवल खिलाड़ियों के हक में है, बल्कि हर उस नागरिक के हक में है जो स्वस्थ जीवन की तलाश में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब डीएसए मैदान फिर से बच्चों की हंसी, युवाओं की दौड़ और खिलाड़ियों के जोश से गूंजेगा।