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थ्री बी बिज़नेस ग्रोथ कांफ्रेंस : भारतीय निवेशकों से प्रभावित विदेशी मिनिस्टर्स एंड डेलीगेट्स

जयपुर । थ्री बी बिजनेस ग्रोथ कांफ्रेंस ने एक नई वैश्विक व्यापार दिशा का आह्वान किया, जहां विदेशी डेलीगेट्स, व्यवसायी और राजनीतिक शख्सियतों का एक अनूठा संगम देखने को मिला। इस परिवर्तनकारी कॉन्फ्रेंस का आयोजन ओपेश ग्रुप द्वारा जयपुर में किया गया, जिसमें वैश्विक व्यापार जगत के दिग्गजों, उच्च-स्तरीय सरकारी गणमान्य व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया। इन सभी ने नवाचार, विकास और रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए अपने विचार साझा किए, जो उद्योगों को नया रूप देने का वादा करते हैं।

इस विशेष कार्यक्रम में सिएरा लियोन के खनन मंत्री उमारू नापोलियन और चाड, कांगो गणराज्य, नामीबिया, लेसोथो, अंगोला, टोगो और रवांडा के राजदूतों ने भाग लिया, जो एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इन प्रमुख अफ्रीकी प्रतिनिधियों ने खनन, ऊर्जा, कृषि और बुनियादी ढाँचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अफ्रीका की अपार व्यावसायिक क्षमता को अनलॉक करने पर चर्चा की। उनकी उपस्थिति ने भारत और अफ्रीका के बीच बढ़ते संबंधों को दर्शाया।

इस कांफ्रेंस में भारत के राजनीतिक दिग्गजों ने भी शिरकत की, जिसमें उत्तर प्रदेश के श्रम और अधिकारिता मंत्री डॉ. रघुराज सिंह, राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, बाल स्वास्थ्य और महिला अधिकारिता राज्य मंत्री मंजू बाघमार, विधायक डॉ. शैलेश सिंह और भारतीय ज्ञान उद्योग महासंघ के अध्यक्ष अक्षय हाडा शामिल थे। इन नेताओं ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की उभरती भूमिका और कार्यबल विकास से लेकर महिला सशक्तिकरण तक, आगे की सोच वाले बदलाव और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में भारत की तत्परता पर अपने विचार साझा किए।

ओपेश ग्रुप के निदेशक ओपेश सिंह और सीईओ मेघा नाथ ने कहा, “यह कांफ्रेंस केवल व्यापार के बारे में नहीं है – यह महाद्वीपों को जोड़ने, उद्योगों को विश्वस्तरीय बनाने और उज्जवल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का एक प्रयास है।”

डॉ. अतुल गुप्ता, नेशनल प्रेसिडेंट, ऑर्गेनिक फार्मर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस आयोजन को केवल विचारों की समीक्षा बैठक नहीं, बल्कि सपनों को पंख देने के लिए एक उत्प्रेरक बताया। कार्यक्रम के अंत में, उत्साह और सामूहिक प्रतिबद्धता से भरा माहौल देखा गया। सौदों की शुरुआत हुई, साझेदारियाँ बनीं और संयुक्त उद्यमों के विचारों की गूंज सुनाई दी। कार्यक्रम के समापन तक लगभग 150 एमओयू हुए, जिनकी व्यापारिक वैल्यूएशन करोड़ों में आंकी गई।

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