विजय पांडेय मर्डर केस: दोषी चाचा और दो भतीजों को उम्रकैद की सजा
कोर्ट ने सुनाई सश्रम उम्रकैद की सजा, ₹1.65 लाख का जुर्माना भी लगाया
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जन एक्सप्रेस /अमेठी: अमेठी जिले के बहुचर्चित विजय पांडेय मर्डर केस में एडीजे चतुर्थ एकता वर्मा की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषी खेमचंद्र उर्फ गब्बर और उसके दो भतीजों अक्षय तिवारी एवं अंकित तिवारी को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा, तीनों दोषियों पर कुल ₹1.65 लाख का अर्थदंड भी लगाया गया है। इससे पहले 23 जनवरी को कोर्ट ने तीनों को दोषी ठहराया था, जबकि चौथे आरोपी अभय तिवारी के खिलाफ मामला किशोर न्यायालय में लंबित है।
क्या था पूरा मामला?
यह मामला अमेठी जिले के गौरीगंज थाना क्षेत्र के ग्राम मानमिश्र, मजरे असैदापुर का है। शिकायतकर्ता रवींद्र प्रताप पांडेय ने नौ अक्टूबर 2021 को अपने बेटे विजय पांडेय की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। घटना से पहले गौरीगंज स्थित बी-मार्ट शॉपिंग मॉल के पास चाऊमीन खाने के दौरान विजय पांडेय और अभय तिवारी के बीच कहासुनी हुई थी। इसी विवाद को लेकर अभय तिवारी, उसके भाई अक्षय तिवारी, अंकित तिवारी और उनके चाचा खेमचंद्र उर्फ गब्बर ने चाकू से हमला कर विजय पांडेय को लहूलुहान कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
पुलिस जांच और अदालत की सुनवाई
पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अभय तिवारी नाबालिग था इसलिए उसका मामला किशोर न्यायालय में लंबित है। बाकी तीन आरोपियों खेमचंद्र, अक्षय और अंकित का ट्रायल एडीजे चतुर्थ की अदालत में चला। बचाव पक्ष के वकील ने आरोपियों को निर्दोष बताया जबकि शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर शुक्ला ने उन्हें हत्या में सक्रिय भूमिका निभाने वाला बताया। एडीजे एकता वर्मा की अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए तीनों आरोपियों को हत्या सहित अन्य अपराधों में दोषी करार दिया।
कोर्ट का फैसला और सजा
अदालत ने खेमचंद्र उर्फ गब्बर, अक्षय तिवारी और अंकित तिवारी को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई। तीनों पर ₹1.65 लाख का अर्थदंड भी लगाया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह घटना एक मामूली कहासुनी से उपजी थी, लेकिन आरोपियों ने उसे अनावश्यक रूप से बढ़ाकर हत्या की वारदात को अंजाम दिया।
न्याय का संदेश
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि छोटी-छोटी कहासुनी को बढ़ाकर हिंसक वारदात करने वालों को सख्त सजा मिलेगी। अदालत का यह फैसला सामाजिक चेतावनी भी है कि गुस्से और आवेश में आकर किए गए अपराध जीवनभर की सजा दिला सकते हैं। अब दोषियों को अपनी पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे गुजारनी होगी।