दिल्ली/एनसीआर

एलजी ऑफिस का फैसला आने में देर हुई तो दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली: दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) के चेयरमैन की नियुक्ति, अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल विनय सक्सेना के ऑफिस के बीच की खींचतान का नया मुद्दा बना हुआ है। इसी वर्ष जनवरी महीने में शबीहुल हसनैन के रिटायरमेंट के बाद दिल्ली सरकार ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज राजीव कुमार श्रीवास्तव के नाम की सिफारिश इस पद के लिए की। लेकिन एलजी ऑफिस ने दिल्ली सरकार की सिफारिश वाली फाइल को यह कहते हुए लौटा दिया कि इस नियुक्ति पर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कानूनी सलाह ली जाएगी, फिर फैसला लिया जाएगा। जब एलजी ऑफिस का फैसला आने में देर हुई तो दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए दिल्ली सरकार का साथ दिया कि एलजी एक चुनी हुई सरकार के काम में इस तरह का अड़ंगा नहीं लगा सकते हैं। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने दो हफ्तों में डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति करने का आदेश दिया। तब तक जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव ने नियुक्ति में पांच महीने की देरी के बाद व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर अपना नाम वापस ले लिया। सवाल है कि अब क्या होगा? सवाल यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट की बार-बार दखल के बावजूद दिल्ली की सरकार और यहां के उप-राज्यपाल के बीच का झगड़ा खत्म क्यों नहीं हो पा रहा है? आइए ऐसे और भी महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानते हैं…

DERC चेयरमैन के लिए अब तक कौन-कौन से नाम

दरअसल, केंद्र सरकार ने इसी वर्ष मई महीने के अंत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश जारी कर दिया था, जिसमें कहा गया है कि स्वायत्त आयोगों और बोर्डों के प्रमुखों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगी। चूंकि, राज्यपाल और उप-राज्यपाल, राष्ट्रपति के स्थानीय प्रतिनिधि होते हैं तो दिल्ली में एलजी को राष्ट्रपति की यह शक्ति प्राप्त है। जस्टिस श्रीवास्तव के ऑफर ठुकराने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पद के लिए रिटायर्ड जस्टिस संगीत लोढ़ा के नाम की सिफारिश की है। हालांकि, राष्ट्रपति ने रिटायर्ड उमेश कुमार को इस पद पर नियुक्त कर दिया। केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रपति की तरफ से की गई
इस नियुक्ति को ‘अवैध और असंवैधानिक’ बताते हुए अदालत में चुनौती दे दी।

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की जीत, केंद्र को झटके पर झटका

दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में दलील दी कि चूंकि सत्ता किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाला एक हस्तांतरित विषय है, इसलिए केंद्र को नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति कुमार की नियुक्ति में इसलिए देर हुई क्योंकि शपथ दिलाने वाली बिजली मंत्री आतिशी मर्लेना बीमार पड़ गईं। दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त जस्टिस उमेश कुमार की डीईआरसी चेयरमैन पद के शपथ ग्रहण पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को डीईआरसी चेयरमैन पद के लिए सर्वसम्मत प्रत्याशी तलाशने को कहा। हालांकि ऐसा फिर नहीं हो सका। दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के पास जिन नामों की सूची भेजी, उस पर चर्चा के लिए हुई बैठक में आम सहमति नहीं बन पाई।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब वो अपनी तरफ से नियुक्ती करेगा। देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम एड-हॉक बेसिस पर नियुक्ति करेंगे, बस हमें थोड़ा वक्त दें ताकि हम थोड़ा होमवर्क कर सकें।’ अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को करेगी। वहीं, सरकार के साथ-साथ डिस्कॉम ने अदालत को बताया कि जनवरी से ही डीईआरसी चेयरमैन का पद खाली होने की वजह से बिजली दरों की समीक्षा जैसा महत्वपूर्ण काम लंबित है।

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