उत्तर प्रदेशहमीरपुर

हमीरपुर में यमुना-बेतवा का जलस्तर खतरे के पार, प्रशासन अलर्ट मोड में

निचले इलाकों में बाढ़ का पानी, लोगों में बढ़ी बेचैनी | जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने किया तटबंधों का निरीक्षण

जन एक्सप्रेस हमीरपुर (सैय्यद जावेद अख्तर): बढ़ते जलस्तर से दहशत में लोग, कई परिवार हुए बेघर हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। कई लोग घर छोड़कर प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत कैंपों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। कई प्रभावित ग्रामीणों ने घरों का सामान छतों पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।

खतरे के निशान से ऊपर पहुंचीं नदियाँ, प्रशासन सख्त निगरानी में

प्रशासन के अनुसार,

यमुना नदी सुबह 8 बजे 103.710 मीटर पर बह रही है (खतरे का निशान: 103.630 मीटर)

बेतवा नदी 103.200 मीटर पर (खतरे के करीब)

राजस्थान के कोटा बैराज से यमुना में 11 लाख क्यूसेक, और माताटीला डैम से बेतवा में 3.65 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यमुना का जलस्तर प्रति घंटे 10–11 सेमी, जबकि बेतवा का 18–20 सेमी की रफ़्तार से बढ़ रहा है।

जिलाधिकारी मीना का दौरा, अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश

बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए जिलाधिकारी घनश्याम मीना खुद यमुना नदी के तटबंधों पर पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि बाढ़ से निपटने की तैयारी में कोई ढिलाई न हो। प्रभावित इलाकों में पम्पिंग सेट से पानी निकालने का काम शुरू कर दिया गया है।

डुग्गी पिटवाकर की गई अपील, राहत कैंप तैयार

प्रशासन ने लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को सतर्क रहने और राहत कैंपों में पहुंचने की अपील की है।

बाढ़ चौकियां सक्रिय

24×7 निगरानी टीमों की तैनाती

प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस, स्वास्थ्य, नगर निकाय और राजस्व विभाग की साझा टीमें अलर्ट पर हैं।

लोगों को बाढ़ के पानी से दूर रहने की सख्त चेतावनी

किसानों को सबसे बड़ा झटका, फसलें तबाह

बाढ़ के पानी से निचले इलाकों में किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। खेतों में पानी भरने से कृषि पर भारी नुकसान का अंदेशा है। प्रशासन द्वारा फसल क्षति का सर्वे जल्द कराने की संभावना है।

संकट की घड़ी में प्रशासन सतर्क, मगर चुनौती बड़ी

प्रशासन की त्वरित सक्रियता राहत जरूर देती है, लेकिन लगातार बढ़ते जलस्तर ने चिंता की लहर दौड़ा दी है। यमुना-बेतवा के आसपास बसे गांवों के लिए अगले 24 घंटे बेहद अहम साबित हो सकते हैं।

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