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किसानों की हुंकार: न्याय के लिए 18 किलोमीटर पैदल यात्रा, प्रशासन के आश्वासन पर खत्म हुआ धरना

जन एक्सप्रेस / अमेठी:  सूरज की तपती किरणें खेतों की हरियाली पर पड़ रही थीं, जब भारतीय किसान यूनियन (भानु) के कार्यकर्ताओं ने न्याय की आवाज बुलंद की। राष्ट्रीय महामंत्री सत्येंद्र दुबे और तहसील अध्यक्ष नंदकुमार पांडे के नेतृत्व में किसानों ने “पीड़ित किसान गरीब न्याय पदयात्रा” का संकल्प लिया। हाथों में संगठन के झंडे, कंधों पर उम्मीदों का बोझ और दिलों में इंसाफ की आग लिए, यह कारवां अहोरवा भवानी धाम से निकली

पद यात्रा की शुरुआत से पहले, किसानों ने अहोरवा भवानी माई के दरबार में हवन-पूजन और सुंदरकांड का पाठ किया। वे जानते थे कि यह केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि अपने हक की लड़ाई है। यात्रा सिंहपुर ब्लॉक, फूला, रस्ता मऊ होते हुए तिलोई तहसील तक बढ़ी। किसानों के नारों से सड़कें गूंज उठीं – “जो हमारी मांग पूरी करेगा, वही राज करेगा!”
जब यह जनसैलाब तहसील पहुंचा, तो स्थानीय प्रशासन घबराया। पुलिस को बुलाकर तहसील का गेट बंद करवा दिया गया। लेकिन 18 किलोमीटर पैदल सफर कर चुके किसानों के इरादे चट्टान जैसे अडिग थे। वे वहीं धरने पर बैठ गए, पसीने से लथपथ चेहरे, लेकिन हौसला बुलंद!तहसीलदार किसानों को समझाने पहुंचे, लेकिन जब बात हक और अधिकार की हो, तो समझौता कहां संभव था? दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस छिड़ गई। लेकिन किसान पीछे हटने को तैयार नहीं थे। उन्होंने वहीं रसोई बना ली, खाना पकाने लगे और अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी।
आखिरकार, देर रात उपजिलाधिकारी तिलोई खुद किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने मौके पर ही विभिन्न विभागों के अधिकारियों से बात कर कुछ समस्याओं का तत्काल समाधान करवाया और बाकी मांगों को जल्द पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया। किसानों ने नारा लगाया – “जो अधिकारी न्यायी है, वही हमारा भाई है!”

 

धरने में राघवेंद्र कुमार मिश्रा (युवा जिला अध्यक्ष), सुमित तिवारी, इंतजार अहमद, हरखू, पवन, राहुल कुमार, समाजसेवी बबलू त्रिवेदी, इलियास, अनिल कुमार मिश्रा समेत सैकड़ों किसान मौजूद रहे।
यह केवल एक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह साबित करने की जंग थी कि जब किसान अपनी मांगों के लिए खड़ा होता है, तो सत्ता को झुकना ही पड़ता है।

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