उत्तर प्रदेशधर्मपीलीभीत

300 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक पौराणिक पुरातात्विक महत्व बाला गौरी शंकर मंदिर बना सैकड़ों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र

श्रावण मास में हजारों कावड़िए कर रहे जलाभिषेक रोज हो रहा भगवान शिव का रुद्राभिषेक

जन एक्सप्रेस /मुकेश कुमार

पीलीभीत। नागाधीराज,हिमालय की तलहटी बांसुरी नगरी टाइगर रिजर्व तराई के जनपद पीलीभीत में दर्जनों शिव मंदिर मौजूद हैं।

लेकिन सबसे प्रमुख खकरा मोहल्ला स्थित 300 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक पौराणिक गौरी शंकर मंदिर जनपद ही नहीं दूर के आस्था का केंद्र सैकड़ों वर्षो से बना हुआ है इस प्राचीन गौरी शंकर मंदिर के प्राचीन इतिहास पर अगर नजर डाली जाए तो पुरातत्व मामलों के जानकार शिवम कश्यप सहस्राब्दी राष्ट्रीय हिंदी सेवी उपाधि महाविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष साहित्य संस्था शब्दांकुर के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर शंभू शरण शुक्ला जिला संयुक्त बार एसोसिएशन एल्डर कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एवं रोटरी क्लब के संस्थापक सदस्य पंडित रघुवीर शरण भारद्वाज ने अपने जीवन काल में गौरी शंकर मंदिर के प्राचीन इतिहास को बताते हुए कहा कि गौरी शंकर मंदिर आज जिस स्थान पर है वहां पहले घना जंगल रहा करता था जंगल क्षेत्र में बंजारा जाति के लोगों को खेत के भीतर से यह शिवलिंग प्राप्त हुआ था उन बंजारा समुदाय के लोगों द्वारा लाल रंग के पत्थर वाले प्राचीन शिवलिंग की स्थापना कराकर वहा गौरी शंकर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करा दी गई।

कालांतर में दक्षिण भारत का एक राजा जब आखेट करने के लिए इस वन क्षेत्र में आया तो इस शिवलिंग कि आलोकिकता से प्रभावित होकर वहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया आज भी गौरी शंकर मंदिर के गुंबद आदि दीवारों के दक्षिण भारत की कलाकृतियों वाली देवी देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है। इस गौरी शंकर मंदिर के पूर्वी दक्षिणी द्वार के कपाट चंदन की लकड़ी के बने हुए थे गौरी शंकर मंदिर के गर्भ गृह के फर्श में चांदी के सिक्के जड़े हुए थे मंदिर परिसर में ही भगवान राम का अष्टधातु की मूर्तियों का दरबार शोभा बढ़ाता था करीब ढाई दशक पूर्व गौरी शंकर मंदिर की बी.के. अग्रवाल एफसीआई द्वारा मंदिर की कमेटी गठित कर दी गई इस कमेटी के सचिव प्रिया मेडिकल स्टोर स्वामी दिलीप अग्रवाल गुड्डू के प्रयासों से जहां मंदिर को जीर्णोद्धार करा कर अत्यंत सुंदर एवं भव्य रूप प्रदान किया गया।

इस मंदिर परिसर के उत्तरी दिशा में राजा परिवार के द्वारा राजा लालता प्रसाद व हर प्रसाद के परिवार द्वारा करीब आधा दर्जन कमरे बनवाए गए थे जिनको बाद में ध्वस्त करा कर उस स्थान पर सुंदर फुलवारी का निर्माण दिलीप अग्रवाल उर्फ गुड्डू के प्रयासों से करा दिया गया इस मंदिर कमेटी से शहर के सैकड़ों शिव भक्तों का जुड़ना जब शुरू हो गया तो इस मंदिर की आलोकिता से प्रभावित होकर यहां शिवभक्त पूरे वर्ष जलाभिषेक रुद्राभिषेक करने पहुंचने लगे समय समय पर मंदिर में सावन मास चैत्र मास तथा दीपावली पर भव्य मेले लगने शुरू हो गए।

इस मंदिर में पहले चौक बाजार स्थित श्याम स्वीट हाउस के प्रोपराइटर भगवत शरण अग्रवाल रोजाना प्रदोष काल सुबह 3:30 बजे आकर रोजाना मंदिर के कपाट खुलवा दें और मंदिर की धुलाई-सफाई करके गौरी शंकर बाबा का श्रृंगार एवं पूजन अर्चन किया करते थे कई भक्तों द्वारा मंदिर में आकर बेल पत्री पर चंदन से ओम नमः शिवाय श्री गणेशाय नमः राम-राम लिखकर बेल पत्री भगवान गौरीशंकर को अर्पित की जाने लगी इस मंदिर पर पूर्वी व दक्षिणी द्वारका निर्माण रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां द्वारा जिन्होंने जामा मस्जिद का निर्माण भी कराया उनके कारिंदा के कहने पर बची निर्माण सामग्री से गौरी शंकर मंदिर के पूर्व दक्षिणी द्वार की मीनारों आदि का भव्य निर्माण कराया गया जिसके कलात्मकता देखते ही बनती है गौरी शंकर मंदिर के दक्षिण की ओर एक बड़ा बगीचा है जिससे माली के द्वारा रोजाना गौरी शंकर मंदिर के पूजन अर्चन हेतु फूल फलोदी मंदिर के पुजारी जय शंकर शर्मा उर्फ लल्ला महाराज को दिए जाते हैं। इस मंदिर की काफी संपत्ति बताई जाती हैं। जो राजस्व अभिलेखों में आज भी दर्ज हैं।

पुनीत श्रावण मास में हजारों कावड़ियों द्वारा कछला से जलाकर भगवान गौरी शंकर बाबा का जलाभिषेक किया जाता हैं। उल्लेखनीय है कि जन्माष्टमी पर्व पर गौरी शंकर मंदिर में भक्तों द्वारा सुंदर फूल बंगला सजाया जाता था और नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजीव अग्रवाल टीटी द्वारा कई वर्षों से हजारों दीपक जलाकर मंदिर में गौरी शंकर बाबा का भव्य अलौकिक श्रृंगार करके देव दीपावली पर्व मनाया जा रहा हैं।

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