गौतमबुद्ध नगर में रजिस्ट्री घोटाला! निजी स्वार्थ में डूबे अफसर
सरकार को सालाना सैकड़ों करोड़ का चूना

जन एक्सप्रेस/गौतमबुद्ध नगर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक ओर राजस्व बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर गौतमबुद्ध नगर में सरकारी अफसर ही सरकार की मंशा को पलीता लगाने में जुटे हैं। निबंधन और स्टाम्प विभाग की लापरवाही और मिलीभगत के चलते सरकार को हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
कृषि भूमि पर रजिस्ट्री का खेल, सर्किल रेट के फेर में मोटा मुनाफा
जिले के विभिन्न हिस्सों—विशेषकर यमुना एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट और ग्रेटर नोएडा वेस्ट—में बड़ी संख्या में कॉलोनाइजरों द्वारा कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं। किसान से कृषि श्रेणी की ज़मीनें तो मार्केट रेट पर खरीदी जाती हैं, लेकिन रजिस्ट्री होती है सामान्य सर्किल रेट और कृषक श्रेणी में ही।
कॉलोनाइजर न तो ज़मीन का श्रेणी परिवर्तन करवाते हैं, न ही उसके लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान करते हैं। ऐसे में सरकार को दोहरा नुकसान होता है—एक तो श्रेणी परिवर्तन का शुल्क नहीं मिलता और दूसरा, निर्माण कर आवासीय परियोजना बेचने से पहले की रजिस्ट्री भी न्यूनतम दर पर होती है।
मौन हैं जिम्मेदार, आंखें मूंदे बैठे हैं निबंधन और स्टाम्प विभाग के अफसर
पूरे मामले में निबंधन विभाग, स्टाम्प विभाग और यहां तक कि आयकर विभाग तक की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। जिन विभागों को सरकार की आय बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं अफसर अब कॉलोनाइजरों की जेब में नजर आ रहे हैं।
सत्ता संरक्षण में फलफूल रहा अवैध निर्माण, नेताओं की शह से बचते हैं कॉलोनाइजर
जानकारी के मुताबिक कई कॉलोनाइजर सीधे तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हैं। कुछ भाजपा कार्यकर्ता तो कुछ पदाधिकारी के परिजनों के नाम पर ज़मीनें खरीदकर कॉलोनियां काट रहे हैं। प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए नेताओं की छत्रछाया में यह गोरखधंधा तेजी से फल-फूल रहा है।
भाजपा विधायक तेजपाल नागर की फटकार भी रही बेअसर, अधिकारी फिर सो गए
दादरी विधायक तेजपाल नागर ने हाल ही में छपरौला क्षेत्र में एक बड़े अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। मामला तूल पकड़ने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने औपचारिकता निभाते हुए एक बड़े भू-भाग पर बुल्डोजर जरूर चलाया, लेकिन आसपास के अन्य अवैध निर्माण पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
जानकारों की मानें तो अधिकारियों ने सिर्फ ‘जवाबदेही’ से बचने के लिए थोड़ी बहुत कार्रवाई की और अब फिर से कुंभकर्णी निद्रा में चले गए हैं।
सरकार को चाहिए सख्त निगरानी, नहीं तो सालाना सैकड़ों करोड़ का नुकसान तय
राजस्व हानि के इस खेल पर अगर समय रहते लगाम नहीं लगी तो सरकार की आय को गहरा झटका लग सकता है। ज़रूरत है कि सरकार इस मामले में सीधी निगरानी रखे और दोषियों पर बिना देरी कठोर कार्रवाई हो। वरना गौतमबुद्ध नगर भ्रष्टाचार का गढ़ बनता चला जाएगा।