अखिलेश यादव के 10 दिन में 3 बड़े ऐलान से यूपी की सियासत में हलचल
समाज के नायकों को सोने की प्रतिमाएं: हर्षवर्धन, सुहेलदेव और शिवाजी को लेकर वादे

जन एक्सप्रेस/लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय “सोने की राजनीति” छाई हुई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीते 10 दिनों में लगातार तीन बड़े ऐलान करते हुए कहा है कि राज्य में समाज के महानायकों की “सोने की प्रतिमाएं” लगाई जाएंगी — एक-एक कर कन्नौज, लखनऊ और आगरा के लिए वादे किए जा चुके हैं।
इन घोषणाओं में शामिल हैं:
- सम्राट हर्षवर्धन की सोने की प्रतिमा (कन्नौज)
- महाराजा सुहेलदेव की सोने की प्रतिमा (लखनऊ)
- शिवाजी महाराज के लिए भव्य संग्रहालय और सिंहासन सहित सोने की मूर्ति (आगरा)
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह घोषणाएं बीजेपी की “ब्रॉन्ज़ मूर्ति राजनीति” के जवाब में एक रणनीतिक कदम मानी जा रही हैं।
बीते दिनों जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच में महाराजा सुहेलदेव की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया, तो अखिलेश ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सत्ता में आने पर वह उसी स्थान पर सोने की प्रतिमा लगाएंगे।
राजभर वोट बैंक पर फोकस
राजनीति के जानकार मानते हैं कि अखिलेश यादव का यह अभियान पिछड़े वर्गों और खासतौर पर राजभर मतदाताओं को साधने का प्रयास है। विधानसभा चुनाव 2022 में सुभासपा के साथ गठबंधन ने सपा को कई सीटों पर बढ़त दिलाई थी। अब सपा नहीं चाहती कि ये वोट बैंक दोबारा बीजेपी के पाले में जाए।
डिप्टी सीएम ने ली चुटकी
उधर, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के वादों पर तीखा तंज कसा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
2025 में लोकमाता अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक आयोजन किया। तब अखिलेश यादव सो रहे थे। अब जब 2027 करीब आ रहा है, तब ‘सोने की मूर्ति’ का झुनझुना बजा रहे हैं। CM रहते हुए पिछड़ों और दलित नायकों की उपेक्षा की, अब जनता को जुमलों से बहलाने की कोशिश है।”
राजनीति में नई होड़ — कांस्य बनाम सोना!
साफ है कि 2027 का चुनाव अभी भले दूर हो, लेकिन मूर्ति की धातु से लेकर, उसकी ऊंचाई और स्थान अब राजनीतिक बहस का मुद्दा बन चुके हैं। जहां बीजेपी अपने सांस्कृतिक प्रतीकों के जरिए पकड़ मजबूत करना चाहती है, वहीं सपा अब उसी मोर्चे पर ‘सोने’ से जवाब दे रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सोने की चमक सपा के लिए सियासी फायदे का सौदा बनेगी या फिर विपक्ष के आरोपों तले यह रणनीति धूमिल हो जाएगी।






