चित्रकूट

धनुषाकार ग्लास स्काई वाक ब्रिज बनकर तैयार,पर्यटकों का है इंतजार

खुद को हवा में तैरते हुए महसूस करेंगे पर्यटक,ईको टूरिज्म का बनेगा केंद्र

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जन एक्सप्रेस । चित्रकूट
रानीपुर टाइगर रिजर्व के तुलसी जल प्रपात पर बन रहे ग्लास स्काई वाक ब्रिज बनकर तैयार हो चुका है। अब इंतजार है तो सिर्फ पर्यटकों का। चुनाव संपन्न होने के बाद जल्द ही इस पुल का उद्घाटन कर पर्यटकों को प्रवेश दिया जाएगा।
रानीपुर टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित तुलसी जल प्रपात पर बन रहे कांच के पुल को अब पर्यटकों का इंतजार है। पुल का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद जल्द ही कांच के पुल के उद्घाटन की संभावनाएं बताई जा रही है। इसके बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।सबसे खास बता यह है कि, तुलसी जल प्रपात पर बन रहे कांच का पुल उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज है। जहां देश से ही नहीं विदेशों पर्यटकों के आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। बड़ी संख्या मे पर्यटकों के आने की संभावना है। जिसे अब पर्यटकों का इंतजार है। इस पुल का आकार धनुष-बाण की तरह है। इस पुल के तैयार होने मे तकरीबन डेढ वर्ष का समय लगा है। धनुष और बाण के आकार में बन रहे ब्रिज में खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम होगी। वन विभाग और पर्यटन विभाग की ओर से 3.70 करोड़ रुपये से ग्लास स्काई वाक ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है।
इस पुल का निर्माण बिहार के राजगीर में स्काई वाक ग्लास ब्रिज के तर्ज पर विकसित किया गया है।
खुद को हवा में तैरते हुए महसूस करेंगे पर्यटक
इस शीशे के पुल पर चलने वाले सैलानी स्वयं को हवा में तैरते हुए महसूस कर सकेगें। इस पुल पर चलते हुए आप अपने कदमों के नीचे की धरती को भी आसानी से देख पाएंगे। प्रकृति की सुंदरता को समेटे ये स्थान बेहद खास है। यहां आने पर पर्यटकों को एक अलग ही अनुभव होता है। मध्य प्रदेश के सतना बॉर्डर पर स्थित रानीपुर टाइगर रिजर्व केमध्य टिकरिया ,बम्भिया जंगल पर स्थित है। ऋषि सरभंग आश्रम से निकली जलधारा व गतिहा नाले जलराशि की त्रिवेणी से तुलसी जल प्रपात की छटा यूं मनोहारी दिखती है, मानो आसमान जमीन छूने को बेताब हो।
पर्यटक सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं
सरकार भारी भरकम बजट तो खर्च लेकिन प्रपात पर पर्यटकों के लिए न पेयजल की व्यवस्था है नाही कचरा निस्तारण का उचित स्थान है। सरकार ने वाटरफॉल को विकसित करने भारीभरकम बजट खर्च कर दिया है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। पर्यटकों के पेयजल तक की भी व्यवस्था नहीं है।
ईको टूरिज्म का बनेगा केंद्र
वन विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में यह ईको टूरिज्म का बहुत बड़ा केंद्र बनेगा। उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में यहां पर्यटक पहुंचेंगे। इसे ईको टूरिज्म का मुख्य केंद्र बनाने के लिए यहां पर राक व हर्बल गार्डन से साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जाएंगे। जिससे पर्यटकों को सभी तरह की सुविधाएं मिल सकें। इस ग्लास स्काईवॉक ब्रिज का निर्माण वन महकमा और पर्यटन विभाग की ओर से कराया जा रहा है।
रोमांच का होगा अनुभव
जैसे ही लोग ग्लास स्काईवॉकपर चलेंगे तो चट्टानों पर पानी गिरने और नीचे जंगल का प्राकृतिक नजारा भी दिखेगा। इससे उन्हें रोमांच का अनुभव होगा।
देश दुनिया से आएंगे सैलानी
निकट भविष्य में यह स्थल देश-दुनिया के सैलानियों को अपनी तरफ खींचने का बड़ा केंद्र होगा‌। वाटरफॉल धरती पर स्वर्ग स एहसास कराता है। ग्लास स्काईवॉक जिस जगह पर बनाया जा रहा है, वह बेहद रमणीय स्थल है। यहां तुलसी जल प्रपात पर पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हैं। ये लगभग 40 फीट की ऊंचाई पर एक वाइड वाटर बेड यानी जल शैया में गिरकर जंगल में लुप्त हो जाता है।

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