गोमती नदी की जमीन बचाने की लड़ाई में तिरंगा महाराज पर हमला, किसानों का आंदोलन तेज

जन एक्सप्रेस/ लखनऊ: तिरंगा महाराज, जो किसानों के हक और उनकी जमीन से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठा रहे थे, पर जानलेवा हमला और गिरफ्तारी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बीकेटी तहसील के राजापुर सुल्तानपुर बहादुरपुर गांव के किसानों की गायब पट्टा पत्रावलियों का मामला उठाने पर तिरंगा महाराज को निशाना बनाया गया। निलांश वाटर पार्क विवाद और गोमती नदी की जमीन पर अवैध कब्जे के मुद्दे को लेकर उनकी सक्रियता ने कई लोगों को असहज किया। चश्मदीदों का कहना है कि यह हमला और उनका मोबाइल फोन छीनना सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
आंदोलन को दबाने की कोशिश
तिरंगा महाराज ने न्याय की मांग करते हुए आंदोलन शुरू किया, लेकिन प्रशासन ने किसानों के इस आंदोलन को कुचलने के लिए ताकत का इस्तेमाल किया। 25 दिसंबर को धरने पर जाते समय उन्हें पुलिस ने गाली-गलौज करते हुए धमकाया और जबरन गिरफ्तार कर लिया। धरने के दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई, जिसमें कई बुजुर्ग महिलाएं घायल हो गईं। पुलिस ने किसानों को धमकाकर आंदोलन खत्म करवाने की कोशिश की, लेकिन किसानों ने इसे अन्याय के खिलाफ लड़ाई बताया।
प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल
तिरंगा महाराज की गिरफ्तारी और उनकी तीन प्रमुख मांगों—गोमती नदी की जमीन से अवैध कब्जा हटाना, लेखपाल द्वारा किए गए हमले की एफआईआर, और गायब पत्रावलियों पर कार्रवाई—को प्रशासन ने नज़रअंदाज़ कर दिया। जनता में इस बात को लेकर गुस्सा है कि प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय तिरंगा महाराज को ही निशाना बनाया। 27 दिसंबर को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी प्रशासन ने उन्हें 28 दिसंबर तक रिहा नहीं किया।
जनता में नाराजगी और आंदोलन जारी
तिरंगा महाराज ने रिहाई के बाद कहा कि यह लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए इसे आंदोलन को कुचलने की साजिश बताया। उनके समर्थकों ने प्रशासन से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह घटना न केवल प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किसानों के हक की लड़ाई को दबाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। जनता अब सीएम योगी से उम्मीद कर रही है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करेंगे। हैं। अब देखने वाली बात होगी क्या सीएम योगी तक यह सूचना पहुंचती है और वह कोई ठोस कार्रवाई करते हैं।