– बच्चों को अपने कमरे और घर से बाहर निकलने दें।
– बच्चों को पार्क या खुले मैदान में खेलने दें।
– सभी माता-पिता अपने बच्चों को हरी-भरी प्रकृति का आनंद लेने दें।
– बच्चों का अपने आस पास के पशु-पक्षियों से परिचय कराएं।
– बच्चों को नयी विचार धारा के साथ-साथ, पुराने रीति रिवाज एवं संस्कारों से अवगत कराएं।
– बच्चों के ऊपर अपने अधिक लाड़ प्यार का बोझ न डालें।
– आप बच्चों को जितना अधिक कंट्रोल करेंगे, बच्चे उतने ही जिद्दी-हठी और दूर भागेंगे।
– दो वर्ष के बच्चे को भी घर आंगन में स्वतंत्र रूप से खेलने दो, उसे हवा, पानी, और धूप का आनंद लेने दो।
– जब आपका बच्चा भूख से व्याकुल हो, तभी उसे भरपेट खिलाना-पिलाना चाहिए।
– बच्चे का तेज रोना और जोर से हंसना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
– जब बच्चे 18 वर्ष की अवस्था क्रोश कर लेते हैं, तो ऐसे में मैं, कहना चाहती हूं कि, बच्चों को अपनी राह स्वयं चुनने का अवसर प्रदान करें।
– माता पिता अपने बच्चों पर, अपने देखे हुए स्वप्न थोपने की कोशिश न करें।
– समझदार बच्चों को स्वतंत्र निर्णय लेने का अवसर देते हुए, उनकी मदद करें।
– माता -पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सही और ग़लत का अंतर हमेशा समझाते रहें।
– आज की हाईटेक दुनिया के माता-पिता से कहना चाहती हूं कि अपने बच्चों को महापुरुषों की,वीर और वीरांगनाओं की कहानियां अवश्य सुनाएं।
– बच्चों से सफल और असफल व्यक्तियों के विषय में जरूर चर्चा करें। जिससे बच्चे दोनों पहलुओं को समझ सकें।
– आजाद भारत में हर वर्ग को अपने कर्तव्य निभाते हुए, अपने फैसले लेने का अधिकार है।
– हमें किसी के भी इशारों पर नहीं चलना चाहिए, वल्कि परमात्मा रूपी आत्मा के स्वरूप की ओर से मिले हुए संकेत को देखना व सुनना चाहिए।
जय हिन्द! जय भारत!