उत्तर प्रदेशलखनऊ

भूसे में गोलमाल, दवाई में दलाली – फिर भी मलाईदार पोस्टिंग!

लोकायुक्त की जांच में दोषी सीवीओ डॉ. अनिल कुमार को ‘इनाम’, कन्नौज की कुर्सी थमा दी!

जन एक्सप्रेस/लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। लोकायुक्त जांच में वित्तीय घोटाले में दोषी पाए गए तत्कालीन मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रायबरेली, डॉ. अनिल कुमार को न सिर्फ सज़ा से बचा लिया गया, बल्कि स्थानांतरण नीति 2025 की खुली धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें कन्नौज जैसे संवेदनशील जिले का सीवीओ बना दिया गया।

कहानी की शुरुआत:
रायबरेली की गौशालाओं में भूसा, दवा और अन्य मदों में भारी वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सिंधवेन्द्र सिंह ने लोकायुक्त महोदय से गुहार लगाई। लोकायुक्त के आदेश पर जिलाधिकारी रायबरेली ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसने मार्च 2025 में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी और डॉ. अनिल कुमार को कई अनियमितताओं में दोषी ठहराया।

लेकिन हुआ क्या?
दोष सिद्ध होते ही कार्रवाई की उम्मीद थी, लेकिन हुआ ठीक उल्टा! 30 मई 2025 को, सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले, प्रमुख सचिव (पशुधन) के रविन्द्र नायक ने डॉ. अनिल को रायबरेली से हटाकर कन्नौज भेज दिया — और यह स्थानांतरण नीति 2025 का भी खुला उल्लंघन है।

यहां भी नियमों को दिखाया ठेंगा:

  • डॉ. अनिल कुमार कानपुर देहात निवासी हैं।
  • पहले ही कानपुर नगर में 7 वर्ष 8 माह की सेवा कर चुके हैं।
  • अब एक बार फिर अपने गृह मंडल में ही तैनाती!

प्रश्न यह उठता है:

  • जब जांच आख्या में डॉ. अनिल दोषी पाए गए, तो उन्हें दंडित करने के बजाय मलाईदार तैनाती क्यों दी गई?
  • क्या यह किसी “सिस्टमेटिक सेटिंग” का हिस्सा है?
  • क्या सेवानिवृत्ति से पहले की गई यह पोस्टिंग नौकरशाही-नेता गठजोड़ की नई मिसाल है?

सिंधवेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव पशुधन विभाग से मांग की है कि डॉ. अनिल कुमार का स्थानांतरण आदेश तत्काल निरस्त किया जाए और जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button