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क्या आठ सालों में भ्रष्टाचार की जड़ें काटने में नाकाम रही योगी सरकार?आई ए एस अधिकारी से लेकर न्यायमूर्ति तक हो गए दागी!

सबसे भ्रष्ट यूपी पुलिस! थाने और चौकियों से होती है भ्रष्टाचार की शुरुआत

जन एक्सप्रेस /संवाददाता लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हालिया बयान में बीते 8 सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि के बारे में कहा कि किसी भी क्षेत्र में आप देख लीजिए, कृषि हो, युवाओं से जुड़ा हो, इंफ्रास्ट्रक्चर का हो, इनवेस्टमेंट का हो, लॉ एंड ऑर्डर का हो, टूरिज्म का हो या फिर विरासत और विकास के बीच बेहतर समन्वय का हो, उसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण देश में उत्तर प्रदेश हो सकता है। लेकिन भ्रष्टाचार के बारे में बोलना भूल गए या फिर सब जानते हुए भी नजरअंदाज कर गए। इसमें कोई संदेह नहीं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ नौजवानों से लेकर वृद्धजनों तक के चहेते मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाते हैं। लेकिन, एक तरफ शासन से लेकर प्रशासन तक फैले भ्रष्टाचार पर मजबूत पहरेदारी न कर पाना युवाओं की मंशा पर पानी फेरता तो दूसरी तरफ आम जनमानस को निराश करता नजर आ रहा है। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की और कई बार सख्त लहजा भी अपनाया। लेकिन, उन्हें अमल में लाने वाले अधिकारी ही भ्रष्टाचारी निकल जाएं तो फिर क्या ही कहा जाए। ऐसे ही भ्रष्टाचार के कई मामले राजधानी में ही सामने आए हैं, जो आम जनता के मन से शासन और प्रशासन के प्रति लगातार अविश्वास पैदा करते जा रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या लोकतंत्र वास्तव में जनता के द्वारा जनता पर किया जाने वाला शासन है? या फिर आज के समय का सबसे बड़ा अभिशाप?

सबसे भ्रष्ट यूपी पुलिस! थाने और चौकियों से होती है भ्रष्टाचार की शुरुआत

विशेषज्ञों की मानें तो पुलिस महकमे में व्याप्त आंतरिक भ्रष्टाचार वृहद भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहा है। जहां स्थानीय स्तर पर छोटे अपराधों का पटाक्षेप दारोगा जी चंद रुपयों के लेनदेन में कर देते हैं। राजधानी में तमाम ऐसी अवैध गतिविधियां हैं जिनमें सीधे तौर पर स्थानीय पुलिसकर्मी संलिप्त हैं लेकिन अफसोस की बात यह है कि उच्च अधिकारियों से शिकायत करने पर स्थानीय व्यक्ति पुलिस की प्रताड़ना का शिकार होने लगता है।

यूपी में बीते आठ सालों में हुए भ्रष्टाचार के 12 आईएएस किरदार

भ्रष्टाचार में संलिप्त तमाम बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई कर मुख्यमंत्री योगी ने समय समय पर ये संदेश दिया है कि करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू रहेगी और भ्रष्टाचारी कितना भी ताकतवर क्यों न हो उसे बख्शा नहीं जाएगा। आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को बीते गुरुवार को निलंबित किया जा चुका है। 2006 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश सचिव औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के सीईओ थे। फिलहाल अभिषेक प्रकाश पर हुई कार्रवाई से भ्रष्टाचारियों की लाबी में जबरदस्त खौफ व्याप्त गया है। योगी सरकार के आठ साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मामले में अब तक लगभग 12 आईएएस अधिकारियों को निलंबित किया है। जिनमें घनश्याम सिंह, देवी शरण उपाध्याय, टीके शीबू, सुनील वर्मा, देवेन्द्र पांडेय, अमर नाथ उपाध्याय, केदार सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, शारदा सिंह, जितेंद्र बहादुर सिंह, कुमार प्रशांत और अभिषेक प्रकाश हैं। फिलहाल इनमें से कुछ को बहाल कर दिया गया है।

इस सरकार में केवल कमीशनखोरी हो रही है। अगर सरकार कह रही है कि आठ साल का शासन अच्छा रहा तो मुझे लगता है कि इससे बड़ा धोखा इस प्रदेश की जनता के साथ और कोई नहीं हो सकता, कारण यह है कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है, फर्जी एनकाउंटर हुए हैं, पेपर लीक हुए हैं, प्रदेश के शीर्ष अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हैं, इसलिए जो वे कह रहे हैं,वह गलत है।
– अजय राय, प्रदेश अध्यक्ष “कांग्रेस कमेटी उत्तर प्रदेश”।

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