उत्तराखंड

आपदा का दंश झेल रहे दुर्गापुर निवासियों ने की विस्थापन की मांग

गोपेश्वर । आपदा से प्रभावित होकर अपना मूल गांव बौंला छिनका छोड़ने के बाद दुर्गापुर में विस्थापित अनुसूचित जाति के 40 परिवार एक बार फिर से आपदा की चपेट में आ गये हैं। अब यहां से भी उन्हें अन्यत्र विस्थापित होना पडे़गा, नहीं तो जीवन जीने का संकट पैदा हो जायेगा।

13 अगस्त की रात्रि को हुई भारी बारिश के कारण दुर्गापुर गांव के ऊपर से भूस्खलन शुरू हो गया है। साथ ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के नीचे से बन रही टीएचडीसी की सुरंग में हो रहे विस्फोट से भी गांव का अस्तित्व समाप्त होने वाला है। इसी समस्या को लेकर बुधवार को दुर्गापुर के ग्रामीण जिलाधिकारी चमोली से मिले।

दुर्गापुर गांव के निवासी मूलतया बौंला छिनका के रहने वाले है। वर्ष 1971 में आयी बेलाकुची बाढ़ के कारण इस बस्ती को खतरा उत्पन्न होने के बाद वर्ष 1992 में तत्कालीन जिलाधिकारी चमोली दुर्गाप्रसाद ने इन्हें सुभकोडी नामक स्थान पर बसाया था, जिसे बाद में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी दुर्गा प्रसाद के नाम से दुर्गापुर कर दिया। अब दुर्गापुर भी खतरे की जद में आ गया है।

प्रभावित छुमा देवी, रघुवीर लाल, मूल निवासी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अंजू अग्निहोत्री, जिला प्रभारी पुष्पा कोहली, गिरीश आर्य, पुष्कर बैछवाल आदि का आरोप है कि विस्थापित दुर्गापुर गांव के नीचे से टीएचडीसी की सुरंग बन रही है जिसके लिए विस्फोट का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे गांव की मकानों में दरारे आ गयी है तथा जमीन में भी दरारें देखी जा सकती हैं। 13 अगस्त की रात्रि को हुई भारी बारिश के कारण दरारों में पानी जाने से भूस्खलन हो गया है, जिससे गौशालाएं और कई भवनों पर आयी दरारें और अधिक चौड़ी हो गई हैं।

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