महराजगंज

उत्खनन से अब उठेगा रामग्राम के रहस्य का पर्दा

बुद्धकालीन कोलीय गणराज्य की राजधानी रामग्राम की पहचान का दावा करते हैं दोनों देशों के पुरातत्वविद।

जन एक्सप्रेस/महराजगंज। खबर यूपी के जनपद महराजगंज से है जहां बुद्धकालीन कोलीन गणराज्य की राजधानी रामग्राम की पहचान को लेकर भारत व नेपाल के पुरातत्वविदों के बीच परस्पर किए जा रहे दावों का शीघ्र पटाक्षेप होने की उम्मीद है।

भारतीय पुरातत्वविद दिशा व दूरी के हिसाब से रोहिन नदी के पूरब चौक जंगल में मौजूद कन्हैया बाबा के स्थान को रामग्राम मानते हैं। इस दावे की प्रमाणिकता जानने के लिए विगत 18 नवंबर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम यहां उत्खनन करा रही है। 10 मीटर की परिधि में हो रहे उत्खनन में अब तक गर्भगृह के बाहरी हिस्से की दीवार, कलात्मक ईंटें और मिट्टी के बर्तन मिले हैं। पुरातत्वविद किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए यहां उत्खनन का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।

वहीं नेपाल के पुरातत्वविद भारतीय सीमा से महजे आठ किलोमीटर दूर नवलपरासी जिले के उज्जयनी नामक स्थान को बुद्धकालीन रामग्राम बता रहे हैं। अपने दावे को और मजबूत करने के लिए रामग्राम नगरपालिका के पंडितपुर में नेपाल के पुरातत्व विभाग द्वारा चार स्थानों पर उत्खनन कराया जा रहा है। अब तक के उत्खनन में उन्होंने बुद्धकालीन नगर मिलने का दावा किया है। उत्खनन के दौरान मिले नगर का संबंध रामग्राम से बताया जा रहा है। यहां तक कि लुबिनी आने वाले बौद्ध धर्मावलंबियों को नेपाल पर्यटन विभाग के कर्मचारी अपने वहां रामग्राम दिखाने का दावा करते हुए उज्यनी तक ले जाते हैं।

भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष पर बना है रामग्राम स्तूप

बौद्ध ग्रंथों के मुताबिक भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके अस्थि अवशेषों को आठ भागों में बांटा गया था। उस समय कोलीय भी अस्थि अवशेष का एक हिस्सा ले कर आए और रामग्राम में स्तूप का निर्माण कराया। कालांतर में सम्राट अशोक ने विभिन्न स्तूपों से अस्थि अवशेषों को निकलवा पूरे देश में स्तूप का निर्माण कराया। वह भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष लेने के लिए रामग्राम भी आए थे, लेकिन सफल नहीं हो सके। ऐसे में संभावना है कि अस्थि अवशेष रामग्राम स्तूप के अंदर मौजूद है।

भाष्कर ज्ञवाली पुरातत्वविद, नेपाल ने बताया कि रामग्राम नगर पालिका के पंडितपुर में चार स्थानों पर हुए उत्खनन के दौरान अब तक बुद्ध काल के कई प्रमाण मिले हैं। उस समय की मानव बस्ती व लोगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाली वस्तुएं भी मिली हैं। यह स्थल नेपाल में मौजूद रामग्राम से जुड़ा हुआ है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद डा. आफताब हुसैन ने कहा कि रामग्राम के संबंध में नेपाल के पास अब तक कोई अभिलेखीय साक्ष्य नहीं है। ऐसे में उनके द्वारा नेपाल में रामग्राम होने का दावा करना भ्रामक है। अभिलेखीय साक्ष्य या रामग्राम से जुड़ा कोई प्रमाण मिलने पर ही इस स्थले की पहचान पुष्ट हो पाएगी।

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