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बाल विवाह से बची 13 वर्षीय बालिका, प्रशासन की तत्परता से सुरक्षित हुआ भविष्य

जन एक्सप्रेस/पीलीभीत।

एक 13 वर्षीय बच्ची का बाल विवाह होने से ठीक समय पर रोक दिया गया, जिसके लिए प्रशासन और पुलिस ने मिलकर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की। यह घटना कोतवाली सदर थाना क्षेत्र की है, जहां चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने एकजुट होकर बाल विवाह की तैयारी को नाकाम किया।

सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण इकाई के संरक्षण अधिकारी मीनाक्षी पाठक, चाइल्ड हेल्पलाइन समन्वयक निर्वान सिंह और पुलिस बल ने मौके पर पहुंचकर विवाह की तैयारियों को रोका। मौके पर मेहंदी लगी हुई बच्ची को देखकर यह स्पष्ट हो गया कि विवाह की सभी तैयारियाँ की जा रही थीं। बालिका की आयु का दस्तावेजों से अवलोकन करने पर यह पाया गया कि वह केवल 13 वर्ष की है, जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत अपराध है।

प्रशासन की टीम ने बालिका के परिवार वालों को सख्त चेतावनी दी और उन्हें बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह करना दंडनीय अपराध है। इस अपराध में दोषी पाए जाने पर उन्हें एक लाख रुपये का जुर्माना और दो वर्ष तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, विवाह में सहयोग देने वाले अन्य सभी लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

बालिका को बाल कल्याण समिति के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां उसके कल्याण के लिए आगे की कार्यवाही की जाएगी। इस अभियान में विशेष योगदान देने वालों में कांस्टेबल भानु प्रताप, महिला कॉन्स्टेबल संध्या सिंह, कांस्टेबल अमित कुमार, परामर्शदाता मनीष्ठा गुल अंसारी और सब इंस्पेक्टर दुष्यंत शामिल रहे।

यह घटना प्रशासन की तत्परता और जागरूकता को दर्शाती है, जिसने एक छोटी सी बच्ची को बाल विवाह के बंधन से मुक्त कराकर उसके उज्जवल भविष्य की राह आसान की।

बाल विवाह रोकने की दिशा में प्रशासन की यह कदम सराहनीय है, और यह समाज को यह संदेश देता है कि बालिकाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों का संरक्षण सर्वोपरि है।

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