उत्तराखंड

जंगलों में आर्द्रता पैदा करने के लिए कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए : हरीश रावत

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देहरादून । पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं को लेकर कहा है कि जंगलों में आर्द्रता पैदा करने के लिए और अम्लीयता हटाने के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए।

सोशल मीडिया एक्स पर वनाग्नि की घटनाओं को लेकर हरीश रावत ने एक पत्र पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने कहा कि 2015-16 में उत्तराखंड के जंगलों में आर्द्रता पैदा करने के लिए और अम्लीयता हटाने के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए गये। उन कार्यक्रमों को नये सिरे से और ज्यादा संसाधनों के साथ प्रारंभ करना चाहिए। जंगलों से अम्लीयता हटाने के लिए भी मैंने कुछ सुझाव पिछले दिनों अपनी एक पोस्ट में दिये हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि वन विभाग से जुड़े हुए लोगों के संज्ञान में मेरी वह पोस्ट आई होगी। हमको अम्लीयता घटाने के कार्यक्रम को तत्काल प्रारंभ कर देना चाहिए। हमें यह मानकर के चलना चाहिए कि “जब जागो, तब सवेरा”।

उन्होंने कहा कि वनाग्नि इस वर्ष अकेले अल्मोड़ा जिले में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की आहूति ले चुकी है। मैं आग से घिरे हुए उन बहादुर लोगों के करुण क्रंदन को याद कर अपने आंसुओं को नहीं रोक पा रहा हूं। उन बहादुर लोगों के जो आग का सामना करने के लिए, उसको बुझाने के लिए जंगलों में काम कर रहे हैं और आग की लपेट में आ रहे हैं उनके साथ पूरे राज्य की भावनाएं हैं। राज्य को ऐसे सभी लोगों को राज्य शहीद का दर्जा देकर वही सुविधाएं, वही सांत्वना राशि, नियुक्ति आदि दी जानी चाहिए जो हम शहीदों के परिवारों को देते हैं। जंगलों में आग इसी तरीके से भीषणतम होती जायेगी, यदि हमने जंगलों में आद्रता पैदा करने का और जंगलों से अम्लीयता हटाने का एक व्यापक राज्यव्यापी कार्यक्रम प्रारंभ नहीं किया तो, यदि कभी कोई अच्छी शुरुआत हुई है तो उनका अनुसरण करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए क्योंकि वह शुरुआत किसी व्यक्ति की नहीं होती हैं, वह राज्य की होती है।

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