SEBI का सुप्रीम कोर्ट में बड़ा खुलासा

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने 2016 के बाद से अडानी समूह की किसी भी कंपनी की जांच नहीं की है, जैसा कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है। एक प्रत्युत्तर हलफनामे में बाजार नियामक ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अपने उत्तर हलफनामे में दिए गए विवाद का हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित और/या उत्पन्न होने वाले मुद्दों से कोई संबंध नहीं है। इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं के जवाब हलफनामे में संदर्भित मामला 51 भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा वैश्विक डिपॉजिटरी रसीद जारी करने से संबंधित है।
सेबी के हलफनामे में कहा गया है कि जांच पूरी होने के बाद, इस मामले में उचित प्रवर्तन कार्रवाई की गई। इसलिए, यह आरोप कि 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से निराधार है और जीडीआर से संबंधित जांच पर भरोसा करने की मांग पूरी तरह से गलत है। बाजार नियामक ने कहा कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों की जांच के संदर्भ में सेबी पहले ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोगों के संगठन (आईओएससीओ) के साथ बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमएमओयू) के तहत ग्यारह विदेशी नियामकों से संपर्क कर चुका है और विभिन्न इन नियामकों को सूचना के लिए अनुरोध किया गया था। विदेशी नियामकों के लिए पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 को किया गया था।
सेबी ने बताया कि उसने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को एक विस्तृत नोट प्रस्तुत किया था