उत्तराखंड

भारी वर्षा की स्थिति में अधूरे कार्यों पर पानी भी फिर सकता है

देहरादून: बीते मानसून सीजन में मालदेवता क्षेत्र में फटे बादल की तबाही के जख्म अभी हरे ही हैं। जख्मों पर मरहम लगाने के फौरी कार्यों के अलावा सरकारी तंत्र उदासीन ही बना रहा। आपदा प्रबंधन के तहत जिन सुरक्षात्मक कार्यों को तत्काल शुरू किया जा चाहिए था, वह आठ माह बाद शुरू किए जा सके।

40 प्रतिशत ही काम पूरे
अब दूसरा मानसून सीजन सिर पर खड़ा है और 40 प्रतिशत ही काम पूरे किए जा सके हैं। ऐसे में गुरुवार सुबह हुई वर्षा ने आपदाग्रस्त क्षेत्र के नागरिकों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। आपदा के बाद भैंसवाड़ा, घंतूकासेरा व पीपीसीएल क्षेत्र में सिंचाई विभाग ने बाढ़ सुरक्षा के विभिन्न कार्य प्रस्तावित किए थे। इसका प्रस्ताव नवंबर 2022 में शासन को भेजा गया था। स्वीकृति में लंबा समय लगने के चलते कार्य समय पर शुरू नहीं किए जा सके।

भारी वर्षा की स्थिति में अधूरे कार्यों पर पानी भी फिर सकता है
करीब 4.82 करोड़ रुपये के ये कार्य विभिन्न क्षेत्र में अप्रैल से मई 2023 के बीच शुरू किए जा सके। अब मानसून सीजन कभी भी शुरू हो सकता है और कार्य प्रगति 40 प्रतिशत पर अटकी है। ऐसे में न सिर्फ फिर से आपदा के खतरा मंडरा गया है, बल्कि भारी वर्षा की स्थिति में अधूरे कार्यों पर पानी भी फिर सकता है। विभागीय अधिकारी भी यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि गतिमान कार्यों पर इस मानसून सीजन में क्या असर पड़ेगा।

रायपुर विकासखंड के जेष्ठ प्रमुख इतिवार सिंह ने बताया कि क्षेत्र में आपदा के दस माह बीतने को है, लेकिन बाढ़ सुरक्षा दीवार बनाने के निर्माण कार्य समय पर शुरू नहीं किए गए। दो माह पहले निर्माण कार्यों के वर्कआर्डर जारी किए गए, जो निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, उनका मानसून से पहले पूरा होना संभव नहीं। वहीं, सिंचाई खंड देहरादून के अधिशासी अभियंता डीसी उनियाल का दावा है कि 15 दिन के भीतर बाढ़ सुरक्षा दीवार के निर्माण कार्य पूरे कर दिए जाएंगे।

 

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