आवास विकास परिषद में स्टिल्ट पार्किंग को लेकर अधिकारियों की उदासीनता
प्रमुख सचिव के आदेश के बाद भी स्टिल्ट पार्किंग स्वीकृत करने में हिला हवाली
स्टिल्ट पार्किंग नक्शा स्वीकृत कराना बना आय स्रोत
जन एक्सप्रेस
गाजियाबाद । गाजियाबाद में आवास विकास परिषद सहित गाजियाबाद विकास प्राधिकरण क्षेत्र में पार्किंग अब भारी समस्या बनने लगी है । गाजियाबाद में आवास विकास परिषद के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पार्किंग की समस्या लंबे समय से गंभीर बनी हुई है। यहां कई आवासीय क्षेत्रों में पार्किंग की सुविधा नहीं होने के कारण स्थानीय निवासियों को आए दिन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में आवास विकास परिषद के द्वारा पार्किंग निर्माण की स्वीकृति आम रूप से नहीं मिलने से स्थिति और भी विकट हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव रहे नितिन रमेश गोकर्ण द्वारा 30 नवम्बर 2023 के अपने सरकारी आदेश क्रम संख्या 16 में स्टिल्ट पार्किंग के प्रावधानों को लेकर आदेश दिया था । जिससे निर्माणकर्ताओं में और आम जनता में खुशी की लहर दौड़ गई थी । लेकिन मानचित्र स्वीकृत करने में भी बड़े बड़े खेल शुरू हो गए हैं। स्टिल्ट पार्किंग नक्शे में स्वीकृत कराने को लेकर नियमावली होने के बाद भी उसके लागू करने की प्रक्रिया को अधिकारी ही जटिल करने लगे हैं। स्टिल्ट पार्किंग पास कराने का खेल संगठित रूप से खेला जा रहा है जिसमें बड़ी भूमिका तथाकथित आर्किटेक्ट की होती है।
आवास विकास परिषद वसुंधरा सहित अन्य क्षेत्र में आवासीय योजना के तहत फ्लैट और अन्य प्रकार के आवासीय भवन बनाए गए हैं, लेकिन इन भवनों के निर्माण के समय पार्किंग की सुविधा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। इसके साथ कुछ सोसायटी में जानबूझकर पार्किंग के मामले को निस्तारित नहीं किया आज रहा है। जिसमें वसुंधरा की सेक्टर 15 स्थित शिखर एनक्लेव सोसायटी के निवासियों का मामला सुर्खियों में है । पार्किंग के अभाव के परिणामस्वरूप अब कई निवासी अपनी गाड़ियों को सड़कों पर खड़ा करने के लिए मजबूर हैं। जो समस्याओं और अशांति का कारण बन रहे हैं । सड़कों पर गाड़ियों की संख्या अधिक होने के कारण यातायात में रुकावटें को उत्पन्न होती हैं और दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ जाती है।
फाइलों में दबी हैं योजना और नागरिक हो रहे परेशान
नागरिकों और आम जनमानस की कार पार्किंग समस्याओं को हल करने के लिए योजनाएं प्रशासन द्वारा तैयार किया जाता हैं, लेकिन इन योजनाओं पर सरकारी आदेश और स्वीकृति के अभाव में काम नहीं हो पाता। पार्किंग सुविधाओं को विकसित करने के लिए योजनाएं बनने के बावजूद सरकारी आदेशों के बीच अटकी रहती हैं । जिससे निवासियों की समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं।सरकार द्वारा आवासीय क्षेत्रों में पार्किंग समस्याओं को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिनमें उचित पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करना और योजनाओं के क्रियान्वयन की सिफारिश शामिल है। आवास विकास परिषद लखनऊ प्रशासन समेत मानचित्र विभाग को भविष्य को देखते हुए स्टिल्ट पार्किंग सुविधा छोटे प्लाटों में भी लागू किया जाना चाहिए । जिससे नागरिकों को राहत मिल सके ।
ट्रांस हिंडन परिक्षेत्र के वसुंधरा के निवासी और निर्माणकर्ता लंबे समय से पार्किंग समस्याओं को हल करने की मांग कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि आवास विकास परिषद इस क्षेत्र में नई पार्किंग निर्माण योजनाओं को मंजूरी दे और उन्हें जल्द से जल्द लागू करे।
बड़े प्लाटों पर स्टिल्ट पार्किंग को लेकर मानचित्र स्वीकृत कराना टेढ़ी खीर हो गया है । जिसमें तथाकथित आर्किटेक्ट और संबंधित खंड के तथाकथित अधिकारी की संलिप्तता विभाग और क्षेत्र में चर्चा का विषय है। राजनीतिक रसूख और लक्ष्मी रथ को हांकने में माहिर आर्किटेक्ट अपने रथ में बैठ ऐसा सॉफ्टवेयर घुमाते है कि उनक सफ़र मुख्यालय तक पहुंचते पहुंचते स्वीकृति में बदल देता है । उनके इस सिद्ध हस्त कला और कृपा प्रसाद के मुरीद बिल्डर ही नहीं विभाग के आला अफसर भी हैं।
एक तरफ आवास और शहरी नियोजन विभाग के आला अफसर स्टिल्ट पार्किंग को लेकर योजनाएं बना रहे हैं तो दूसरी तरफ तथाकथित कुछ अधिकारी निजी स्वार्थ की नीति को आगे करके जनहित विकास और सहूलियत वाले योजनाओं के आगे रूकावट पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि वसुंधरा क्षेत्र के एक ही आर्किटेक्ट के नाम से बड़े बड़े प्लाटों पर कई स्टिल्ट पार्किंग लखनऊ कार्यालय के स्वीकृति पर जारी किए गए थे । जिसमें मोटी रकम की बात खूब चर्चा का विषय बनी थी ।
वसुंधरा में रियल स्टेट के कारोबारी जैन प्रॉपर्टीज के वीरेश की माने तो स्टिल्ट पार्किंग सभी के लिए खुल जाने से आम नागरिकों को काफी राहत मिलेगी । जो आज के समय में नितांत आवश्यक है । वीरेश की माने तो आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अंतर्गत आवास विकास परिषद और समस्त विकास प्राधिकरण क्षेत्र आता है। जिसके लिए समान नियमकानून लागू होते हैं । लेकिन वसुंधरा को शासन की नीतियों का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिससे जनता के हित प्रभावित हो रहे हैं।
स्टिल्ट पार्किंग सभी के लिए सामान्य रूप से स्वीकृत हो ऐसे शासन के आदेश के बाद भी विभागीय उदासीनता चिंताजनक है । जिसका निराकरण आवश्यक है।