जानिए गंगाजल को कौन सी दिशा में रखना माना जाता है शुभ
हिंदू धर्म में, शास्त्रों और पुराणों आदि में गंगा को बेहद पवित्र नदी का दर्जा दिया गया है। माना जाता है कि यह स्वर्ग की नदी है। इसी कारण इसके जल को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। गंगाजल भगवान शिव की जटाओं से निकलता है। इसकी वजह से यह जल बहुत पवित्र है।
बता दें कि ज्यादातर हिंदू घरों में गंगाजल पाया जाता है। लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि घर में गंगाजल किस दिशा में रखना चाहिए। साथ ही इस आर्टिकल के जरिए हम आपको गंगाजल के 10 प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं।
इस दिशा में रखें गंगाजल
बता दें कि गंगाजल को हमेशा अपने घर के ईशान कोण दिशा में रखना चाहिए। यानी की आप पूजा घर में गंगाजल को रख सकते हैं।
गंगाजल के 10 उपाय
गंगाजल से स्नान करने से व्यक्ति के पाप भी धुल जाते हैं। इसी कारण गंगा को पापमोचनी नदी भी कहा जाता है।
सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय गंगा के जल को घर में छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है।
कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति के प्राण नहीं छूट रहे हों और वह मृत्यु के लिए तड़प रहा हो। तो उस व्यक्ति के मुंह में गंगाजल डाल देना चाहिए। ऐसा करने से वह शांति से अपनी देह को छोड़ देता है। इसलिए मां गंगा को मोश्रदायिनी नदी भी कहा जाता है।
गंगाजल पीने से व्यक्ति को सभी तरह के रोग-शोक से मुक्ति मिलती है। भगवान शंकर की जटाओं से निकलने के कारण गंगा के जल को बेहद पवित्र माना जाता है।
बता दें कि गंगा एकमात्र ऐसी नदी है। जिसमें अमृत कुंभ की बूंदे दो जगहों पर गिरी थीं। इनमें से एक जगह प्रयागराज और दूसरी हरिद्वार है। इसलिए गंगाजल का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इसी वजह से यहां पर कुंभ का आयोजन भी होता है।
गंगाजल कभी भी अशुद्ध और सड़ता नहीं है। गंगाजल को तांबे या पीतल के लोटे में भरकर ऱखना चाहिए। गंगाजल घर में रखने से सभी तरह के संकट कट जाते हैं।
अंगर आप गंगाजल को किसी अन्य जल में डाल देते हैं तो वह जल भी गंगा के जल के समान शुद्ध हो जाता है। गंगाजल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु अन्य पानी को भी शुद्ध कर देते हैं।
गंगा के जल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। गंगाजल में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की बेहद अद्भुत क्षमता होती है। ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर इस नदी के किनारे जाकर बैठने या इस पानी को पीकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। गंगा के पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।
गंगाजल में गंधक की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। जिसके कारण यह खराब नहीं होता है। इसके अलावा गंगाजल में कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी होती रहती हैं।