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पशुपालकों के लिए चिंता का सबब बना लंपी वायरस

महामारी जैसे लंपी वायरस के लक्षण कई जानवरों की हो चुकी मौत अब तक नहीं मिला ठोस इलाज

जन एक्सप्रेस/राजेश पाल

बाजार शुक्ल अमेठी। इन दिनों जानवरों में फैला लंपी स्किन वायरस चिंता का सबब बन गया है।लंपी स्किन वायरस विकास खंड के गांवों में पैर पसार चुका है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग और पशु पालकों की चिंता बढ़ गई है। ये रोग पशुओं के लिए लाइलाज बीमारी बनकर सामने आया हैं। ग्रामीण पशुओं में इस तरह की बीमारी को देखकर घबरा रहें है।पशुओं में धब्बेनुमा चकत्ते को देखकर वह लगातार पशुपालक डॉक्टरों से अपने पशु का इलाज कराने में लगे हुए हैं। इसके एवज में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा ग्रामीणों से मोटी रकम वसूली जा रही ही।

क्षेत्र के पशुपालकों से की गई बात साझा

दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि इस रहस्यमयी बीमारी के कारण उनके गोवंश करीब एक महीने से पीड़ित है। गोवंशों ने चारा खाना बंद कर दिया है। जिससे उन्हें काफी कमजोरी भी हो रही है। दुधारू गोवंश का इस बीमारी के चलते दूध भी कम हो गया है। क्षेत्रीय डॉक्टरों द्वारा इलाज के तौर पर उपचार किया जा रहा है। पशुओं की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टरों को निजी खर्चे पर बुलाकर पशुओं का इलाज कराया जा रहा है जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। विभाग की तरफ से उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। ग्रामीणों के मुताबिक अभी तक किसी भी पशु की मौत का मामला सामने नहीं आया है। हर उम्र और हर वर्ग के पशु को ये बीमारी हो रही है।

पशुपालन विभाग के चिकित्सक की राय

पशुपालन विभाग के चिकित्सा सुरेश कुमार से बात साझा की गई बताया कि यह एक वायरस है। इसके लिए विकासखंड के लिए दो टीमों का गठन कर टीका अभियान चलाया जा रहा है। क्षेत्र में लगभग 3800 टीका लगाया जा चुका है। परडे एक टीम को 200 टीका लगाने का लक्ष्य है दोनों टीमें 400 टीका लगती हैं। टीमें जो हर गांव में जाकर प्रत्येक पशु पर नजर रख रही है।पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए नीम व लाल दवाई डालकर नहलाएं। बरहाल अगर विभाग समय रहते उचित कदम नहीं उठाए तो यह बीमारी एक भयंकर महामारी का रूप ले सकती है।

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