मार्कंडेय ऋषि ने चित्रकूट के इस स्थल पर किया था कठोर तप, उपेक्षा का शिकार
इसी स्थान पर कठोर तप कर की थी मार्कंडेय पुराण की रचना

सचिन वंदन
जन एक्सप्रेस/ चित्रकूट। महर्षि मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली मार्कंडेय आश्रम धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण पवित्र स्थल है। यहां आने वाला हर श्रद्धालु आश्रम की प्राकृतिक सौन्दर्यता देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। मार्कंडेय आश्रम चित्रकूट धाम के चौरासी कोस परिक्रमा व रामवन गमन के अंतर्गत आता है, जो बेहद रमणीय व मनोरम स्थान है। घने जंगल के मध्य स्थित धार्मिक स्थल की प्राकृतिक सौंदर्यता देखते ही बनती है।
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण के अनुसार
मार्कंडेय आश्रम महर्षि मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली है। इसी स्थान पर मार्कंडेय ऋषि ने कठोर तप कर मार्कंडेय पुराण की रचना की थी। श्रीमद्वाल्मीकि रामायण के अनुसार दस सहस्त्र वर्ष तक मार्कंडेय ऋषि ने जल मे रहकर वायु का भक्षण करते हुए कठोर साधना की थी। चौदह वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मार्कंडेय आश्रम ऋषि मिलन के लिए आए थे। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने शिव जी का पूजन भी किया था। आश्रम मे श्रीराम के पदचिह्न भी अंकित हैं। जिन्हें लोग बड़े आस्था के सथ दर्शन , पूजन करते हैं। आश्रम मे शिवलिंग व मार्कंडेय ऋषि की प्रतिमा के साथ बजरंगबली समेत अन्य कई देवी-देवता स्थापित हैं। भगवान शिव की कृपा से अल्पायु बालक मार्कंडेय ऋषि दीर्घजीवी हुए थे। इसी स्थान पर तपस्या करते हुए मार्कंडेय ऋषि ने मार्कंडेय पुराण की रचना की थी। मां जगदम्बा को प्रशन्न करने के लिए नवरात्रि मे दुर्गा शप्तशती के जिन श्लोकों का लोग पाठ करते हैं वह मार्कंडेय ऋषि द्वारा लिखे गए मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत देवी भागवत के अंश हैं।
झूठें वादों से श्रद्धालुओं में आक्रोश
जनप्रतिनिधियों द्वारा मार्कंडेय आश्रम के कायाकल्प को लेकर लंबे समय से वादे किए जा रहे हैं, लेकिन वादे आज भी अधूरे हैं। जनप्रतिनिधि लोगों के आस्था के साथ खूब खिलवाड़ किया हैं। चुनाव आते ही प्रत्याशी मत्था टेकने आश्रम पहुंचते हैं। अपनी राजनीति चमकाने के लिए तमाम तरह के वादे तो करते हैं , लेकिन कुर्सी मिलते ही सारे वादे भूल जाते हैं। यह क्रम लंबे समय से चल रहा है। जिससे क्षेत्र के श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश है। कहते हैं वोट बटोरने के लिए झुंठी कसमें खाते हैं। जिस धार्मिक स्थान से हजारों लोगों की आस्थाएं जुड़ी हों उसके साथ राजनीति करना बेहद शर्मनाक है।
चौरासी परिक्रमा पथ के अंतर्गत है आश्रम
मार्कंडेय आश्रम चित्रकूट धाम की चौरासी किसी परिक्रमा पथ के अंतर्गत आता है। फाल्गुन महीने मे चित्रकूट धाम की चौरासी कोसी परिक्रमा मे सैकड़ो साधु-संतों का जत्था आता है,जो मार्कंडेय आश्रम मे रात्रि विश्राम भी करता है। लेकिन आश्रम मे ठहरने से लेकर तमाम अव्यवस्थाएं होने से बड़ी कठिनाई झेलनी पड़ती है। बड़े त्यौहार समेत प्रत्येक सोमवार को आश्रम मे श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। लेकिन आश्रम आने वाला मार्ग बेहद जर्जर होने से श्रध्दालुओं को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आश्रम के कई अनसुलझे रहस्य भी हैं। चौरासी कोस परिक्रमा मे आए साधुओं का मानना है कि 24 घंटे मे एक बार आश्रम परिसर से मोक्षदायिनी कर्णप्रिय सुरीली आवाज सुनाई देती है, वह जिसको भी सुनाई पड़ती है वह भगवान का आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करता है।
दिव्य जल असाध्य रोगों से दिलाता है मुक्ति
आश्रम स्थित जलकुंड का दिव्य जल ग्रहण करने से बड़े-बड़े असाध्य रोगों से लोगों मुक्ति देता है। इस जल के ग्रहण करने से नेत्र,उदर,बीपी,सुगर आदि जैसी तमाम बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।