उत्तराखंडदेहरादून

उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा बनेंगे ओबीसी प्रधान

उत्तरकाशी में 521 में से 95 और ऊधमसिंह नगर में 373 में से 71 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित

देहरादून | जन एक्सप्रेस ब्यूरो. उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर जिले ओबीसी प्रतिनिधित्व के लिहाज से आगे निकलते नजर आ रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ग्राम प्रधान पदों का आरक्षण तय किया है। आरक्षण की प्रक्रिया में जिस जिले में ओबीसी की जनसंख्या अधिक है, वहां ओबीसी के लिए अधिक सीटें निर्धारित की गई हैं।

जिला वार आंकड़े: ओबीसी आरक्षण की स्थिति

जिला कुल सीटें                  ओबीसी सीटें

उत्तरकाशी 521                         95
ऊधमसिंह नगर 373                  71
टिहरी 1049                             69
अल्मोड़ा 1160                           39
पिथौरागढ़ 681                           41
देहरादून 409                             34
बागेश्वर 405                              20
नैनीताल 475                              20
चंपावत 312.                               16
चमोली 615                                 18
रुद्रप्रयाग 333                             11
पौड़ी 1166.                                25

कुल आरक्षित पदों की स्थिति:

इस बार प्रधान पदों की कुल संख्या 7499 है, जिनमें से आरक्षण का बंटवारा इस प्रकार है:

सामान्य वर्ग: 2747 पद

ओबीसी वर्ग: 457 पद

SC वर्ग: 1380 पद

ST वर्ग: 225 पद

महिलाएं और अन्य आरक्षित वर्ग: 2690 पद

इस तरह कुल 4752 पद आरक्षित और 2747 पद अनारक्षित हैं।

जहां ज्यादा आबादी, वहां ज्यादा प्रतिनिधित्व

उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में ओबीसी आबादी अपेक्षाकृत अधिक है, इसीलिए वहां प्रधान पदों पर ओबीसी आरक्षण की संख्या भी ज्यादा है।
वहीं, पौड़ी जैसे बड़े जिले में 1166 सीटों में सिर्फ 25 ही ओबीसी के लिए आरक्षित हैं, जिससे क्षेत्रीय संतुलन पर चर्चा की संभावना भी बनती है।

त्रिस्तरीय पंचायतों के अन्य पदों पर भी हुआ आरक्षण तय

ग्राम प्रधान पदों के अलावा क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, और अन्य त्रिस्तरीय पदों के लिए भी आयोग ने आरक्षण सूची तय कर ली है, जो जल्द ही जिलावार अधिसूचना के रूप में जारी की जाएगी। इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उत्तराखंड का राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य ओबीसी भागीदारी के लिहाज से और अधिक विविध होने जा रहा है।
जनगणना आधारित आरक्षण नीति से ग्रामीण सत्ता में समाज के पिछड़े वर्गों को अपेक्षित प्रतिनिधित्व मिलने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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