अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर पीएम मोदी ने किया केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास
जन एक्सप्रेस। पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया गया। मध्य प्रदेश के खजुराहो में इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया। एक तरफ पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश की जनता सम्बोधित किया।
वहीं दूसरी ओर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस परियोजना को लेकर पुराने दिनों की याद दिला दी। राजनीति में किसी भूखे को एक केला भी वितरित किया जाता है तो उस केले की वज़न को थामने वाले कई सारे हाथ दिख जाते हैं। ख़ैर, यह अलग विषय है। पूर्व प्रधानमन्त्री पण्डित अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया।
मध्य प्रदेश के खजुराहो में अटल जी की 100वीं जयंती को यादगार बनाते हुए पीएम मोदी ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के शिलान्यास के साथ-साथ सुशासन पर भी लम्बा चौड़ा भाषण दिया। उन्होंने कहा, ” सुशासन का मतलब ही यही है कि अपने अधिकारों के लिए नागरिकों को सरकारों के सामने हाथ न फैलाना पड़े। सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटना पड़े। सुशासन का यही मन्त्र भाजपा सरकारों को दूसरों से अलग करता है। ”
इस मौके पर पीएम नरेन्द्र मोदी अपने धुर विरोधी दल कांग्रेस को यादगार नहीं भूले। उन्होंने कांग्रेस को कोसते हुए कहा कि दुर्भाग्य से देश पर लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकारें रही और उसका गवर्नेंस से छत्तीस का नाता रहा है। नरेन्द्र मोदी ने यहां तक कहा कि जहां कांग्रेस है, वहां गवर्नेंस हो ही नहीं सकती। पीएम नरेन्द्र मोदी ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का सिर्फ शिलान्यास ही नहीं किया। बल्कि उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना भी साधा। उन्होंने मध्य प्रदेश की जनता को सम्बोधित करते हुए यह कहने में कोई चूक नहीं की कि यहां के किसानों और माताओं-बहनों ने बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष किया है और इस हालत की जिम्मेदार कांग्रेस है क्योंकि उसने जल संकट के स्थायी समाधान के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
उधर यूपी के पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए एक्स पर केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को लेकर एक पोस्ट साझा कर दिया। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ना, देश को जोड़ने का काम होता है। अखिलेश यादव ने लिखा कि इसी बड़ी सोच के साथ अपने नेताजी ने ‘देश में सबसे पहले दो राज्यों की नदियों को जोड़ने की परियोजना’ की संकल्पना की थी। सपा अध्यक्ष ने इस परियोजना के पहल का श्रेय अपने पिता यानी कि यूपी के पूर्व मुख्यमन्त्री स्व मुलायम सिंह यादव को दिया।
उन्होंने लिखा कि नेताजी ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ केन-बेतवा लिंकिंग प्रोजेक्ट के एमओयू को हस्ताक्षरित कर के, तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को प्रस्तुत किया था। सपा अध्यक्ष ने आगे लिखा कि इस परियोजना के पीछे एक महत्त्वपूर्ण नज़रिया काम कर रहा था; जिसका उद्देश्य सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी, पेय जल और विद्युत उत्पादन के साथ-साथ सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के जल स्तर में सुधार करना था। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र क्षेत्र के चतुर्दिक विकास के लिए निवेश व पर्यटन के नये दरवाज़े खोलकर, आत्मनिर्भरता बढ़ाने के साथ-साथ पलायन को भी रोकना था।
अन्त में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा कि अगर वर्तमान केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सही प्राथमिकता दी होती तो नेताजी का ये महान कार्य और पहले ही शुरू होकर अब तक पूर्ण हो जाता। हालांकि, केन-बेतवा लिंक परियोजना जैसी महत्त्वपूर्ण विषय पर अभी कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान पढ़ने को नहीं मिला है। लगता है कि कांग्रेस आलाकमान के संज्ञान में अभी तक इस अहम् विषय की चर्चा नहीं पहुंची है।
क़रीब डेढ़ साल पहले प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर बैठक की थी। इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने की थी। इस बैठक में यह माना गया कि यह परियोजना केन्द्र सरकार के लिए काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। सरकार ने भी माना कि यह परियोजना बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए जल सुरक्षा और सामाजिक आर्थिक विकास की दृष्टि से अतीव महत्त्वपूर्ण है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो साल 2021 में, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस परियोजना के महत्त्व को समझते हुए
44,605 करोड़ रूपए की लागत के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।
क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट
यह परियोजना ( केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट) नदियों को आपस में जोड़ने का प्रोजेक्ट है। उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र अधिकतर पानी की कमी के कारण जूझता रहा है। वहां सिंचाई को लेकर काफ़ी जटिलताएं सामने आती रही हैं। उसी बुंदेलखंड क्षेत्र में, सिंचाई की उचित सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश की केन नदी के अतिरिक्त जल को बेतवा नदी तक पहुंचाने की परियोजना है। इन क्षेत्रों में यूपी और एमपी के कुछ ज़िले शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की बात करें तो झांसी, बांदा, ललितपुर और महोबा ज़िले आते हैं; वही मध्यप्रदेश में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर ज़िला केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के अन्तर्गत मुख्य रूप से आते हैं।
इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्य भी शामिल है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के अन्तर्गत दौधन बांध और एक नहर का निर्माण कार्य शामिल है, जिसकी लम्बाई क़रीब 230 किमी तक है। इस प्रोजेक्ट की अहमियत इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि देश की तीस नदियों को आपस में जोड़ने हेतु शुरू की गयी ‘नदी जोड़ो परियोजना’ में से एक यह भी है। केन-बेतवा नदियों का उद्गम मध्यप्रदेश में होता है। ये दोनों यमुना की सहायक नदियां हैं। वहीं, केन नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर बांदा ज़िले में ही यमुना नदी में मिल जाती है। दूसरी तरफ, बेतवा नदी से इसका मिलन यूपी के हमीरपुर ज़िले में होती है।
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इस बहुउद्देशीय बांध का निर्माण पूरा हो जायेगा तो जल संरक्षण में सहूलीयत के साथ-साथ 103 मेगावाट जल-विद्युत का उत्पादन भी किया जा सकता है। इस जल-विद्युत उत्पादन के साथ ही 62 लाख लोगों को पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
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