अमेठीउत्तर प्रदेश

भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य शांतनु जी महाराज ने बताया जीवन का उद्देश्य — परम तत्व की प्राप्ति ही मानव जीवन का सार

सगुण और निर्गुण भक्ति, भगवान के स्वरूपों का किया गहन वर्णन, भक्त हुए भावविभोर

जन एक्सप्रेस तिलोई ,अमेठी। विकास क्षेत्र तिलोई के पूरे दान सिंह बैस, मजरे मेढ़ोना शंकरगंज में चल रही अमृतमयी श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन रविवार को अत्यंत भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। कथा का वाचन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य  जी महाराज के पावन मुखारविंद से हुआ।दूसरे दिन के प्रवचन में आचार्य  मानव जीवन के उद्देश्य, आत्मा-परमात्मा के संबंध और ईश्वर के सगुण-निर्गुण स्वरूपों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “मानव जीवन केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और परम तत्व की प्राप्ति के लिए मिला है।”महाराज ने बताया कि सृष्टि के प्रत्येक प्राणी में ईश्वर का अंश विद्यमान है, लेकिन अज्ञानवश मनुष्य भौतिकता में उलझा रहता है। उन्होंने कहा, “जब तक मनुष्य अपने भीतर बसे ईश्वर को पहचान नहीं लेता, तब तक जीवन अधूरा रहता है। सच्चा सुख धन या पद में नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और आत्मज्ञान में है।”प्रवचन के दौरान उन्होंने सगुण और निर्गुण भक्ति का सुंदर तुलनात्मक विश्लेषण किया। आचार्य श्री ने कहा कि सगुण भक्ति में भगवान को साकार रूप में पूजा जाता है — जैसे श्रीकृष्ण, राम या देवी-देवताओं के रूप में — जबकि निर्गुण भक्ति में ईश्वर का निराकार चिंतन किया जाता है। “दोनों मार्गों का उद्देश्य एक ही है — ईश्वर तक पहुँचना। फर्क केवल भक्ति की भावना और साधना के रूप में है,” उन्होंने कहा।महाराज  ने भगवान के तीन स्वरूपों — ब्रह्म, परमात्मा और भगवान की व्याख्या करते हुए बताया कि ईश्वर सर्वव्यापी हैं और हर कण में विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनना केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और मन को स्थिर करने का माध्यम है।कथा स्थल पर रविवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। भक्तों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ कथा श्रवण किया। वातावरण “हरि बोल” और “जय श्रीकृष्ण” के जयघोषों से गूंज उठा।आयोजकों ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित की जा रही है और यह सात दिनों तक चलेगी। मंगलवार को कथा के तीसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल लीला प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा।दूसरे दिन के प्रवचन ने श्रद्धालुओं को आत्मचिंतन और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी। पूरा परिसर भक्ति रस में डूबा रहा और क्षेत्र में आस्था, शांति और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम देखने को मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button