उत्तर प्रदेश

सत्र अदालत से सुनाई गई एक साल की सजा रद्द

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1974 मे डकैती की योजना बनाते अवैध असलहे के साथ गिरफ्तार आरोपित को बरी कर दिया है और अपर सत्र न्यायाधीश एटा द्वारा आयुध अधिनियम की धारा 25 में दोषी करार देकर सुनाई गई एक साल के सश्रम कारावास की सजा रद्द कर दी है।

कोर्ट ने कहा पुलिस पार्टी ने पकड़ा था। दोनों तरफ से कोई घायल नहीं हुआ। कोई स्वतंत्र चश्मदीद गवाह नहीं है। अभियोजन कहानी में संदेह है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार ने एटा के निवासी जसवंत की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।

28 दिसंबर 1974 की रात पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी गश्त पर थी। थाना इंचार्ज ओपी पांडेय व पुलिस टीम ने बरनी गांव में मंदिर के पास पंचायत भवन अनाज गोदाम से आवाज सुनाई दी। कुछ लोग डकैती की योजना बना रहे थे। चार लोगों को डेढ़ बजे रात गिरफ्तार किया गया। प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। अदालत ने दो को बरी कर दिया और दो को सजा सुनाई। जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। इसी दौरान एक आरोपित राम प्रसाद की मृत्यु हो गई। केवल एक आरोपित जसवंत की अपील की सुनवाई की गई और कोर्ट ने सज़ा रद्द कर बरी कर दिया है।

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