प्रधानमंत्री ने राज्यसभा सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन का किया आग्रह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन करने का आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को नये संसद भवन में राज्यसभा को संबोधित करते हुए लोकसभा में पेश नारीशक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं तो उस सहजता का पहला हक महिलाओं का है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास जी20 में चर्चा का सबसे बड़ा विषय था।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा दशकों से लंबित है और सभी ने अपनी क्षमता से इसमें योगदान दिया है। यह इंगित करते हुए कि विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था और अटल जी के कार्यकाल के दौरान इस पर कई विचार-विमर्श और चर्चाएं हुईं, लेकिन संख्या की कमी के कारण विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विधेयक अंततः कानून बन जाएगा। कानून और नए भवन की नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में ‘नारी शक्ति’ सुनिश्चित करें। उन्होंने आज लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश करने के सरकार के फैसले की जानकारी दी, जिस पर बुधवार को बहस होगी। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के सदस्यों से सर्वसम्मति से विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया।
सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर ऐतिहासिक और यादगार है। यह देखते हुए किराज्यसभा को संसद का उच्च सदन माना जाता है, प्रधानमंत्री ने संविधान के निर्माताओं के इरादों को रेखांकित किया कि सदन एक दिशा देते हुए राजनीतिक प्रवचन के उतार-चढ़ाव से ऊपर उठकर गंभीर बौद्धिक चर्चा का केंद्र बने। प्रधानमंत्री ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए कहा कि संसद सिर्फ एक विधायी निकाय नहीं बल्कि एक विचार-विमर्श करने वाली संस्था है। मोदी ने कहा कि राज्यसभा में गुणवत्तापूर्ण बहस सुनना हमेशा सुखद होता है। उन्होंने कहा कि नई संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि अमृत काल के भोर में यह नई इमारत 140 करोड़ भारतीयों में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।
पिछले 9 वर्षों में लिये गए निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया, जो दशकों से लंबित थे और जिन्हें स्मारकीय माना जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, “ऐसे मुद्दों को छूना राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ी गलती मानी जाती थी।”
उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने इस दिशा में बड़े कदम उठाए हैं, भले ही उनके पास राज्यसभा में आवश्यक संख्या नहीं थी। मोदी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि देश की भलाई के लिए मुद्दों को उठाया गया और हल किया गया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा की गरिमा सदन में संख्या बल के कारण नहीं बल्कि निपुणता और समझ के कारण बरकरार रखी गई।
दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि जिन प्रगति को पूरा करने में 50 वर्षों से अधिक समय लगा, उन्हें अब कुछ ही हफ्तों में देखा जा सकता है। उन्होंने बढ़ती तकनीकी प्रगति के अनुरूप खुद को गतिशील तरीके से ढालने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान सदन में हमने आजादी के 75 साल का जश्न मनाया, 2047 में जब नए भवन में आजादी की सदी मनाई जाएगी तो विकसित भारत में ये जश्न होगा। उन्होंने आगे कहा कि पुरानी इमारत में हम दुनिया की अर्थव्यवस्था के मामले में 5वें स्थान पर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि नई संसद में हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे।