स्वस्थ तन, स्वच्छ मन की ओर क्रांतिकारी कदम
शांतिकुंज, हरिद्वार का स्वास्थ्य आंदोलन बन रहा है जन-जागरूकता का नया आधार

जन एक्सप्रेस/ हरिद्वार: रोग मुक्ति नहीं, एक दिव्य जीवनशैली की ओर तेज़ भागती जिंदगी में जहां मानसिक और शारीरिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है, वहीं शांतिकुंज, हरिद्वार से उठी एक युगांतरकारी पहल आज समाज को संतुलित, संयमित और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन की ओर प्रेरित कर रही है।
‘स्वास्थ्य आंदोलन’ नामक यह अभियान, न केवल रोग निवारण तक सीमित है, बल्कि यह समग्र आरोग्य और आत्मिक उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है।
आंदोलन की शुरुआत: युगऋषि की दूरदृष्टि
गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा 1980 के दशक में इस आंदोलन की नींव रखी गई। उनका स्पष्ट मत था कि स्वस्थ शरीर और मन ही आत्मोत्थान एवं समाजोत्थान की पहली सीढ़ी है।
आधुनिक विज्ञान और प्राच्य चिकित्सा का संगम
इस आंदोलन को नया आयाम दिया है देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या और प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने।
यहाँ योग, प्राणायाम, पंचकर्म, आयुर्वेद, एक्यूप्रेशर, ध्यान जैसी पद्धतियों के साथ-साथ आधुनिक शोध और चिकित्सा को जोड़ते हुए एक संपूर्ण स्वास्थ्य मॉडल विकसित किया गया है।
नियमित शिविर और जन-जागरूकता कार्यक्रम
शांतिकुंज द्वारा निःशुल्क योग शिविर, ध्यान प्रशिक्षण, स्वास्थ्य कार्यशालाएँ एवं स्वस्थ जीवनशैली पर आधारित रैलियाँ नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं।
इनमें देश-विदेश से हज़ारों लोग हिस्सा लेते हैं और आत्मिक, मानसिक एवं शारीरिक आरोग्यता की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
दो प्रमुख विचार… बाइट्स के रूप में:
स्वास्थ्य एक अमूल्य संपदा है। यह केवल रोगों से मुक्ति नहीं, बल्कि एक दिव्य जीवनशैली है। शरीर, मन और आत्मा — तीनों स्तरों पर आरोग्यता ही सच्चा स्वास्थ्य है। यही युगधर्म है।”
— डॉ. प्रणव पण्ड्या, प्रमुख – अखिल विश्व गायत्री परिवार व कुलाधिपति – देवसंस्कृति विश्वविद्यालय
यदि आज का युवा योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे भारतीय मूल्यों को अपनाए, तो वह स्वयं के साथ समाज को भी रोगमुक्त बना सकता है।”
— डॉ. चिन्मय पण्ड्या, प्रतिकुलपति – देवसंस्कृति विश्वविद्यालय
आंदोलन नहीं, नवयुग की चेतना है यह
यह स्वास्थ्य आंदोलन केवल शारीरिक आरोग्यता की बात नहीं करता, बल्कि विचारशील, चरित्रवान और संयमी समाज के निर्माण की दिशा में ठोस प्रयास है।
यह पहल भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए स्वस्थ जीवनदर्शन का मॉडल बनती जा रही है।
शांतिकुंज का स्वास्थ्य आंदोलन एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि रोगों से लड़ने के साथ जीवन जीने की कला कैसे सिखाई जा सकती है। यह आंदोलन दिखाता है कि स्वस्थ जीवन ही श्रेष्ठ जीवन है।






