बिहार

आकाश में छाए मानसून का बादल देख खेतों की ओर चले किसान

बेगूसराय । पिछले 24 घंटे से रुक-रुककर हो रही छिटपुट बारिश ने मानसून के आगमन का अहसास करा दिया है। बारिश, बादल और हवा के कारण लोगों को प्रचंड गर्मी से कुछ राहत मिली है। बादल का बदलता रुख देखकर किसानों ने खेती की तैयारी शुरू कर दी है।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा कृषि विज्ञान केंद्र बेगूसराय ने दो जुलाई तक के मौसम पूर्वानुमान के साथ किसानों के लिए सम सामयिक सुझाव जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि इस अवधि में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। इस अवधि में हमेशा बादल छाए रहेंगे।

29 जून को 0.3 एमएम, 30 जून को 7.1 एमएम, एक जुलाई को 2.0 एमएम एवं दो जुलाई को 0.3 एमएम बारिश का अनुमान जताया गया है। इस दौरान अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। जिन किसानों के धान का बिचड़ा तैयार हो गया तथा सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध हो तो निचली तथा मध्यम जमीन में रोपनी करें। उर्वरकों का व्यवहार मिट्टी जांच के आधार पर करें।

उथली क्यारियों में खरीफ प्याज की नर्सरी गिराएं। नर्सरी में जल निकास की व्यवस्था रखें। एन.-53, एग्रीफाउण्ड डाक रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर खरीफ प्याज के लिए अनुशंसित किस्में है। बीज को कैप्टान या थीरम दो ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार कर लें। पौधशाला को तेज धूप एवं वर्षा से बचाने के लिए छायादार नेट से छह-सात फीट की ऊंचाई पर ढंक सकते हैं। पौधशाला से नियमित रूप से खरपतवार निकालते रहें, कीट-व्याधियों की निगरानी करते रहें।

मक्का की बुआई शुरू कर दें। खरीफ मक्का की सुआन, दवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2 एव राजेन्द्र संकर मक्का-3 किस्मों की बुआई करें। खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर दस से 15 टन गोबर की सड़ी खाद, 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किला पोटास का व्यवहार करें। प्रति किलो बीज को 25 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बुआई करें। बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें।

अरहर की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो स्फुर, 20 किलो पोटास तथा 20 किलो सल्फर का व्यवहार करें। बहार, पूसा-9, नरेन्द्र अरहर-1, मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बुआई के लिए अनुशंसित किस्म है।

खरीफ मौसम की सब्जी कद्दू, नेनुआ, झींगली, खीरा की बुआई कर सकते हैं। खेत में उचित नमी बनाकर बुआई करें। मिट्टी जांच के आधार पर ही खाद का प्रयोग करें। मिट्टी परिक्षण नहीं हो तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन सड़े गोबर के खाद का प्रयोग करें। प्रति हेक्टेयर 60 किलो नेत्रजन, 50 किलो फॉस्फोरस एवं 40 किलो स्फुर का उपयोग करें। फसल तीन मीटर गुणा एक मीटर की दूरी पर लगाएं। प्रति थाल दो-तीन मीटर दूरी पर बोएं।

पशु चारा के लिए ज्वार, बाजरा तथा मक्का की बुआई करें। इसके साथ ही मथ, लाबिया एवं राईस बीन की बुआई करें। पशुओं को एन्थ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर एवं एचएस से बचाने के लिए टीका लगवाएं। टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दें। स्वच्छ पानी आवश्यकता अनुसार या दिन में तीन बार अवश्य पिलाएं। पानी में थोड़ी नमक और आटा या गुड़-पानी जरुर मिलाएं। पशुओं को तनाव रहित रखने के लिए विटामिन एवं खनिज लवण दें।

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